नयी दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का शुद्ध लाभ वर्ष 2019 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में एक साल पहले की इसी अवधि से 41 प्रतिशत बढ़कर 6,797.25 करोड़ रुपए हो गया। इसकी बड़ी वजह बैंक के फंसे कर्जों के लिए नुकसान का प्रावधान का होना है। एक साल पहले इसी अवधि में उसे 4,823.29 करोड़ रुपए का एकीकृत शुद्ध लाभ हुआ था।
स्टेट बैंक ने शेयर बाजारों को बताया कि तीसरी तिमाही में उसकी एकीकृत आय बढ़कर 95,384.28 करोड़ रुपए रही, जो 2018-19 की इसी तिमाही में 84,390.14 करोड़ रुपए थी। बैंक का प्रदर्शन परिसंपत्तियों के मोर्चे पर सुधरा है। 31 दिसंबर 2019 तक बैंक की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) गिरकर 6.94 प्रतिशत रही। एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 8.71 प्रतिशत पर था।
इस दौरान, शुद्ध एनपीए भी 3.95 प्रतिशत से गिरकर 2.65 प्रतिशत पर आ गया। एकल आधार पर, बैंक का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 41.2 प्रतिशत बढ़कर 5,583.36 करोड़ रुपये हो गया। 2018-19 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में उसे 3,954.81 करोड़ रुपए का एकल शुद्ध लाभ हुआ था। स्टेट बैंक ने कहा, 'किसी भी तिमाही में यह उसका अब तक का सबसे अधिक शुद्ध लाभ है।'
2019-20 की तीसरी तिमाही में बैंक की एकल आय बढ़कर 76,797.91 करोड़ रुपये रही, जो 2018-19 की इसी तिमाही में 70,311.84 करोड़ रुपए थी। एकल आधार पर, बैंक का फंसे कर्ज के लिए प्रावधान कम होकर 8,193.06 करोड़ रुपये रह गया। 2018-19 की तीसरी तिमाही के दौरान उसने 13,970.82 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था।
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