मुंबई। देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कर्ज के लिए बाह्य मानकों पर आधारित अपनी ब्याज दर (ईबीआर) को 0.25 प्रतिशत कम कर 7.80 प्रतिशत करने की सोमवार को घोषणा की। अभी यह दर 8.05 प्रतिशत थी। नयी दर 1 जनवरी 2020 से प्रभावी होगी। बैंक के इस निर्णय से उसके आवास ऋण पर ब्याज कम हो जाएगा और उससे ईबीआर के आधार पर कर्ज लेने वाले सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) पर भी ब्याज के बोझ में प्रति सैकड़ा 25 पैसे की कमी हो जाएगी।
भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक ने पहली अक्टूबर 2019 से ईबीआर आधारित ब्याज की व्यवस्था लागू की है। एसबीआई ने एमएसएमई, हाउसिंग और रिटेल लोन के सभी फ्लोटिंग रेट को ईबीआर से जोड़ने का फैसला किया है, इससे ग्राहकों को काफी फायदा मिलेगा। इससे ग्राहकों के होमलोन की ईएमआई में कमी आएगी। बैंक नए आवास ऋण वार्षिक 7.90 प्रतिशत की दर से पेश करेगा। अब तक यह दर 8.15 प्रतिशत थी।
बैंक ने इसके तहत 1 अक्टूबर 2016 से सूक्षम, लघु और मझोले उद्यमों, आवास खरीदारों तथा खुदरा ग्राहकों के लिए परिवर्तनशील दर पर लिए गए कर्जों का ब्याज रिजर्व बैंक की रेपो दर (जिस दर पर वह बैंकों को फौरी जरूरत के लिए नकद धन देता है) में घट बढ़ के आधार पर समायोजित करने का निर्णय लागू किया है। इसके तहत बैंक तीन माह एक बार अपने कर्ज की ब्याज दरों को समायोजित कर सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस वर्ष फरवरी से कुल मिला कर रेपो दर 1.35 प्रतिशत कम की है। लेकिन बैंक उसका लाभ ग्राहकों को देने में धीमे रहे हैं। उनकी ओर से ब्याज में औसतन 0.44 प्रतिशत की ही कटौती की गयी है।
इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक अपने ग्राहकों को बड़ा तोहफा दे चुका है। इसी महीने एसबीआई ने एक साल के मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) में 10 बेसिस प्वॉइंट (बीपीएस) की कटौती की थी, जिसके बाद यह दर 8 फीसदी से कम होकर 7.90 फीसदी हो गई। नई दरें 10 दिसंबर 2019 से लागू हुई थीं। इसके साथ ही नवंबर माह में भी एसबीआई ने एमसीएलआर में बदलाव किया था, तब एसबीआई ने एक साल के एमसीएलआर में पांच बीपीएस की कटौती की थी, जिसके बाद यह दर 8.05 फीसदी से कम होकर 8 फीसदी हो गई थी।
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