सऊदी अरब ने दिया चीन को जोर का झटका, अब भारत को भी सता रहा है ये डर
अरेमको कंपनी बढ़ते कर्ज और कच्चे तेल की कीमतें गिरने के मद्देनजर अपनी बची पूंजी को खर्च करने से बच रही है। अरेमको से सऊदी को काफी राजस्व हासिल होता है लेकिन तेल की कीमतें गिरने से सरकारी खजाने में भी कमी आई है।
नई दिल्ली।स ऊदी अरब ने चीन को एक जोरदार झटका दिया है। सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरेमको चीन के साथ हुए 10 अरब डॉलर की रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स बनाने के समझौते से पीछे हट गई है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब की कंपनी ने तेल की गिरती कीमतों की वजह से चीन के साथ हुए इस सौदे को टालने का फैसला किया है।
कोरोना वायरस महामारी संकट की वजह से पूरी दुनिया में तेल की खपत कम हुई है। मांग कम होने से तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखी जा रही है। सऊदी अरब के लिए ये स्थिति इसलिए और ज्यादा चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था मुख्यत: तेल पर ही निर्भर है। दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी अरेमको ने भारत के साथ महाराष्ट्र में भी प्रस्तावित 44 अरब डॉलर के रत्नागिरी मेगा रिफाइनरी प्रोजेक्ट में निवेश का ऐलान किया था। विश्लेषकों को आशंका है कि अगर कोरोना के प्रकोप की वजह से तेल की खपत ऐसे ही कम होती रही और तेल की कीमतें लगातार नीचे जाती रहीं तो सऊदी अरब भारत में भी निवेश करने से पीछे हट सकता है।
मामले से जुड़े सूत्रों ने इकोनॉमिक टाइम्स से बताया कि सऊदी अरब की अरेमको ने चीन के उत्तर-पूर्वी प्रांत में कॉम्प्लेक्स में किए जाने वाले निवेश को रोकने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, बाजार में छाई अनिश्चितता की वजह से ये कदम उठाया गया है। सऊदी अरब की कंपनी अरेमको की तरफ से अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है। समझौते में शामिल चाइना नॉर्थ इंडस्ट्री ग्रुप कॉर्पोरेशन या नॉरोनिको ने भी इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
अरेमको कंपनी बढ़ते कर्ज और कच्चे तेल की कीमतें गिरने के मद्देनजर अपनी बची पूंजी को खर्च करने से बच रही है। अरेमको से सऊदी को काफी राजस्व हासिल होता है लेकिन तेल की कीमतें गिरने से सरकारी खजाने में भी कमी आई है। पिछले साल फरवरी महीने में जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान चीन के दौरे पर गए थे तो इस समझौते पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए थे। सऊदी अरब एशिया के बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाना चाहता था। इसके अलावा, सऊदी ने अपने यहां चीनी निवेश को भी प्रोत्साहित किया है।
सऊदी अरब की चीनी कंपनी नोरिनको और पनजिन सिनसेन के साथ मिलकर हुआजिन अरेमको पेट्रोकेमिकल कॉर्पोरेशन की स्थापना करने की योजना थी। सऊदी अरब इस 300,000 बैरल प्रति दिन क्षमता वाली रिफाइनरी के लिए 70 फीसदी कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाला था। मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि चीन और सऊदी भविष्य में इस परियोजना को लेकर फिर से विचार कर सकते हैं। दुनिया भर की रिफाइनरियों के लिए कोरोना वायरस महामारी के आने से चुनौतियां पैदा हुई हैं। तेल की मांग घटने से मुनाफा कम हो गया है, जिससे रिफाइनिंग के कारोबार में निवेश भी प्रभावित हो रहा है। सऊदी अरब अरेमको की इंडोनेशिया की सरकारी तेल कंपनी पर्टामीना के साथ भी एक रिफानरी प्रोजेक्ट को लेकर बातचीत चल रही थी। हालांकि, दोनों देश किसी समझौते पर नहीं पहुंच सके थे।