नई दिल्ली: व्हाट्सएप पर व्यक्तिगत समूहों में कंपिनयों के वित्तीय परिणाम संबंधी ‘अप्रकाशित संवेदनशील सूचनाओं के आदान-प्रदान’ के आरोप से जुड़े देश में अपनी तरह के पहले मामले में कुछ व्यक्तियों को भेदिया कारोबार का दोषी ठहराने के बाजार विनियामक सेबी के फैसले को अपीलीय मंच सैट ने खारिज कर दिया है। इन व्यक्तियों पर बजाज ऑटो, बाटा इंडिया, अंबुजा सीमेंट, एशियन पेंट्स, विप्रो और माइंडट्री जैसी कंपनियों की अप्रकाशित संवेदनशील सूचनाएं (यूपीएसआई) शेयर बाजार के मंच पर प्रकाशित किए जाने से पहले व्हाट्सप के समूह में आपस में आदान -प्रदान करने का आरोप था। यूपीएसआई का प्रकाशन प्रतिभूतियों के भेदिया कारोबार को रोकने के नियमों के विरुद्ध है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अलग-अलग कंपनियों की सूचनाओं से संबंधित मामलों में श्रुति विशाल वोरा, नीरज कुमार अग्रवाल और पार्थिव दलाल तथा आदित्य ओम प्रकाश गागर को वित्तीय परिणाम घोषित किए जाने से पहले ही कंपनी संबंधी संवेदनशील सूचनाएं दूसरों को प्रेषित करने के आरोप में दोषी करार दे कर उन पर जुमार्ना लगाया था।
इन व्यक्तियों ने सेबी के आदेश को प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकारण (सैट) में चुनौती दी थी। उनकी दलील थी कि व्हाट्सएप के वे संदेश मूल रूप से उनके नहीं थे। उन्होंने अन्य स्रोतों से प्राप्त इन संदेशों को केवल आगे प्रेषित करने का काम किया था। सैट ने 22 मार्च के अपने आदेश में सेबी के निर्णय को निरस्त करते हुए कहा कि ये संदेश शुरू से अंत तक एन्क्रिप्टेड थे। सेबी तकनीक की गंभीर कमी के चलते इन एन्क्रिप्टेड संदेशों के मूल स्रोत तक नहीं पहुंच सका।
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