नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईसीसीएल) से उन निवेशकों को भुगतान के लिए 3.5 करोड़ रुपए जमा कराने को कहा जिन्होंने उसकी गुड़गांव परियोजना में फ्लैट खरीदे थे लेकिन समय पर कब्जा नहीं मिला। न्यायाधीश दीपक मिश्रा व यू यू ललित की पीठ ने एसआईसीसीएल से राशि जमा कराने का निर्देश देते हुए कहा, निर्देश दिया जाता है कि अपीलकर्ता (एसआईसीसीएल) इस अदालत की रजिस्ट्री के पास 3.5 करोड़ रुपए जमा कराए।
एसआईसीसीएल की ओर से हाजिर हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि गुड़गांव परियोजना सहारा ग्रेस का निर्माण समय पर पूरा हो गया था और फ्लैट के कब्जे देने में देरी केवल प्रक्रियात्मक थी। वकील ने कहा कि मालिकाना हक दिया जा चुका है जहां वे रह रहे हैं। इस मामले को अंतिम निपटान के लिए छह सप्ताह बाद की तारीख दी गई है। उल्लेखनीय है कि एसआईसीसीएल ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग के एक फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। आयोग ने फर्म से कहा था कि वह फ्लैटों के कब्जे में देरी के लिए सहारा ग्रेस ग्राहक विपदा संघ को 12 प्रतिशत मुआवजा दे। आयोग ने अगस्त 2015 में एसआईसीसीएल से यह भी कहा था कि वह फ्लैट खरीदने वालों को मानसिक परेशानी व उत्पीड़न के लिये भी दो लाख रुपए का भुगतान करे।
सहारा ग्रेस परियोजना को एसआईसीसीएल ने 2003 में गुड़गांव में विकसित करने का प्रस्ताव किया था। इसके सभी फ्लैट अप्रैल 2006 से मार्च 2007 के बीच ग्राहकों को दिये जाने थे। लेकिन एसआईसीसीएल परियोजना को समय पर पूरा करने और फ्लैट खरीदारों का कब्जा देने में असफल रही और ग्राहकों को कब्जा प्रमाणपत्र जनवरी 2008 और कब्जा अंतत: अप्रैल 2008 से जनवरी 2009 के बीच दिया गया।
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