RIL की रेटिंग में बदलाव नहीं, खर्चों पर नियंत्रण का असर, घटेगा कर्ज भार: S&P
S&P के मुताबिक RIL कर्ज घटाने पर जोर दे रही है जिससे कंपनी की स्थिरता बढ़ेगी
नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज के आउटलुक को स्थिर बताते हुए हुए क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने उसकी रेटिंग को वर्तमान बीबीबी+ पर बनाए रखा है। एसएंडपी ने बुधवार को कहा कि तेल से लेकर रिटेल क्षेत्र में कार्यरत रिलायंस का कर्ज अगले एक-दो साल में कम हो जाएग और इसमें स्थिरता आ जाएगी। एजेंसी ने कंपनी के अनुशासित खर्च, संपत्तियों की व्यवस्थित बिक्री और मजबूत लाभ बनाए रखने की क्षमता का उल्लेख करते हुए उसकी रेटिंग का स्तर वर्तमान बीबीबी+ श्रेणी में बनाए रखा है।
फेसबुक ने पिछले सप्ताह RIL की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी जिओ प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड में 9.99 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की। एसएंडपी ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि रिलायंस इंडस्ट्रीज इस सौदे से मिलने वाली 43,574 करोड़ रुपये (5.7 अरब डॉलर) की राशि का इस्तेमाल अपने कर्ज को कम करने के लिये करेगी। उसने कहा कि फेसबुक के साथ इस सौदे से डिजिटल कारोबार में रिलायंस इंडस्ट्रीज की वृद्धि की क्षमताओं का भी विस्तार होगा।
रिलायंस इंडस्ट्रीज फेसबुक के व्हाट्सएप एप्लीकेशन पर अपने जिओमार्ट ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को उतारने की प्रक्रिया तेज करने के लिये फेसबुक के साथ मिलकर काम करेगी। एसएंडपी ग्लोबल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि डिजिटल और खुदरा क्षेत्रों में घरेलू बाजार में कंपनी की मुख्य उपस्थिति से अगले दो साल तक रिलायंस इंडस्ट्रीज के परिचालन का प्रदर्शन बेहतर बना रहेगा।
डिजिटल और खुदरा क्षेत्रों से रिलायंस इंडस्ट्रीज की कर पूर्व आय के वित्त वर्ष 2017-18 के 9,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 31,500 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। एसएंडपी ने कहा कि इसके साथ ही फेसबुक जैसे प्रमुख साझेदारों के निवेश के आने से डिजिटल और खुदरा क्षेत्र से रिलायंस इंडस्ट्रीज को होने वाली आय के अगले तीन साल तक सालाना 15 प्रतिशत की दर से बढ़ने के अनुमान हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज को सऊदी अरामको ने भी उसके तेल-से-रसायन कारोबार की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण को लेकर पिछले साल अगस्त में गैर-बाध्यकारी आशय पत्र दिया है। एजेंसी ने कहा कि सऊदी अरामको के साथ इस सौदे का पूरा हो जाना रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिये कर्ज के लिहाज से सकारात्मक होगा, क्योंकि रिलायंस इंडस्ट्रीज इस सौदे से प्राप्त अधिकांश राशि का इस्तेमाल बकाया कर्ज का भुगतान कर कुल कर्ज के स्तर को कम करने में करेगी।