रुपए की तेजी इन 5 जगहों से घटा सकती है नौकरियां, 25 महीने के ऊपरी स्तर पर है भारतीय करेंसी
रुपए की तेजी के फायदे कम और नुकसान ज्यादा नजर आ रहे हैं। रुपया अगर और तेज हुआ तो कई जगहों पर कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में आ सकती है।
नई दिल्ली। भारतीय करेंसी रुपए में पिछले कुछ दिनों से जो एकतरफा तेजी दिख रही है उसके फायदे कम और नुकसान ज्यादा नजर आ रहे हैं। रुपया अगर और तेज हुआ तो कई जगहों पर कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में आ सकती है। इसके अलावा पटरी पर लौट रही भारतीय अर्थव्यवस्था पर मजबूत रुपया फिर से दबाव बना सकता है। गुरुवार को डॉलर का भाव घटकर 63.57 रुपए तक आ गया है जो करीब 25 महीने में सबसे ऊपरी स्तर है। रुपए की तेजी की वजह से जिन 5 सेक्टर पर सबसे ज्यादा मार पड़ सकती है वह इस तरह से हैं।
आईटी कंपनियों पर सबसे खराब असर
भारतीय आईटी कंपनियों का अधिकतर कारोबार विदेशों में होता है और उनकी कमाई डॉलर में आती है, रुपया मजबूत होने से आईटी कंपनियों को डॉलर की कमाई भारतीय करेंसी में बदलने पर कम रुपए मिलेंगे। ऐसा होने से आईटी कंपनियों के मुनाफे पर चोट पड़ेगी। अमेरिका में H1-B वीजा को लेकर नए राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के रुख से भारतीय आईटी कंपनियां पहले ही मार झेल रही हैं। ऐसे में रुपए की मजबूती इन कंपनियों पर और भारी पड़ रही है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो आईटी कंपनियों को घाटे से बचने के लिए कॉस्ट कटिंग करनी पड़ सकती है जिसमें नौकरियां घटाना भी एक विकल्प हो सकता है।
फार्मा कंपनियों पर भी दबाव
देश से आईटी एक्सपोर्ट के अलावा फार्मा एक्सपोर्ट भी काफी अच्छा है। आईटी कंपनियों की तरह फार्मा कंपनियों की कमाई भी डॉलर में होती है और रुपया मजबूत होने से फार्मा कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन भी कम होंगे। अगर रुपये में और तेजी आती है फार्मा कंपनियों को भी खर्च कटौती के नाम पर जॉब कट का सामना करना पड़ सकता है।
इंटरनेशनल कॉल सेंटर पर पड़ेगा खराब असर
रुपए में तेजी और बढ़ने की स्थिति में देश में काम करने वाले इंटरनेशनल कॉल सेंटर्स की कमाई भी प्रभावित होगी। बीपीओ इंडस्ट्री की ज्यादातर कमाई विदेशों से आती है। डॉलर में होने वाली कमाई पर रुपए की तेजी खराब असर डालेगी।
जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर
डॉलर में गिरावट और रुपये की मजबूती की वजह से जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर भी खराब असर पड़ेगा। भारत से निर्यात होने वाली वस्तुओं में जेम्स एंड ज्वैलरी का अहम स्थान है और यह सेक्टर घरेलू स्तर पर काफी बड़ी मात्रा में रोजगार मुहैया कराता है। रुपए की तेजी की वजह से इस सेक्टर के प्रॉफिट मार्जिन घटेंगे जिस वजह से इस सेक्टर पर भी रोजगार संकट पैदा हो सकता है।
एक्सपोर्ट आधारित उद्योग
रुपए की तेजी हर उस उद्योग पर खराब असर डालेगी जिसका कारोबार निर्यात पर टिका हुआ है। जेम्स एंड ज्वैलरी के अलावा टेक्सटाइल उद्योग, इंजिनियरिंग गुड्स उद्योग और पेट्रोलियम प्रोडक्ट निर्यात करने वाले उद्योग इस श्रेणी में अहम हैं। डॉलर की कमजोरी की वजह से इन सभी उद्योगों के प्रॉफिट मार्जिन कम होंगे।