Diwali bonanza: कैपिटल फर्स्ट के संस्थापक ने बांटे 20 करोड़ रुपए, ड्राइवर और घरेलू सहायक को मिले 31-31 लाख रुपए
इस उद्यमी ने अपने सहयोगियों, पर्सनल स्टाफ और नजदीकी रिश्तेदारों को 20 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर दिवाली उपहार के रूप में दिए हैं।
चेन्नई। दिवाली पर सभी को कुछ न कुछ उपहार मिलने का इंतजार रहता है और अगर यह उपहार नकद हो तो क्या कहने। भारत के एक और उद्यमी का नाम अब कॉरपोरेट परोपकारी बिल गेट्स, वॉरेन बफे और शिव नादर की लिस्ट में शामिल हो गया है। इस उद्यमी ने अपने सहयोगियों, पर्सनल स्टाफ और नजदीकी रिश्तेदारों को 20 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर दिवाली उपहार के रूप में दिए हैं।
कैपिटल फर्स्ट के संस्थापक और चेयरमैन वैद्यनाथन वेंबू की इस उदारता का त्यौहार से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि वह अपनी कंपनी के विकास में योगदान देने वाले कुछ चुनिंदा लोगों को प्रोत्साहन स्वरूप ये काम कर रहे हैं। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब इस वित्तीय सेवा कंपनी का विलय आईडीएफसी बैंक के साथ होने जा रहा है।
कंपनी ने अपने एक बयान में कहा है कि कंपनी के विकास में योगदान देने वालों के प्रति अपना आभार जताने के लिए वैद्यनाथन ने कुछ सहयोगियों को अपने व्यक्तिगत शेयरों में से कुछ शेयर देने की इच्छा जताई है।
वैद्यनाथन ने 4.29 लाख शेयर उपहार के स्वरूप में देने की इच्छा जताई है, जिनका मूल्य 20 करोड़ रुपए है (वर्तमान बाजार मूल्य 478.60 रुपए)। इनमें से 11-11 हजार शेयर वैद्यनाथन के 23 सहयोगियों और 3 पूर्व कर्मचारियों को दिए जाएंगे। 6500-6500 शेयर उनके 5 पर्सनल स्टाफ को दिए जाएंगे, जिनमें ड्राइवर और घरेलू सहायक कर्मचारी शामिल हैं।
इसके अलावा 1.10 लाख शेयर वैद्यनाथन के नजदीकी परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को दिए जाएंगे। वैद्यनाथन ने यह स्पष्ट किया है कि यह उपहार पाने वालों में उनका कोई कानूनी वारिस या उत्तराधिकारी शामिल नहीं है। हालांकि, लाभार्थियों को अपने-अपने उपहार पर टैक्स का भुगतान करना होगा।
यह उपहार देने से पहले वैद्यनाथन के पास कंपनी के 40.4 लाख शेयर या 4.08 प्रशितत हिस्सेदारी थी। अब उनके पास 36.11 लाख शेयर बचे हैं। उनके पास कंपनी में रुकमणी सोशल वेलफेयर ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में 4.94 लाख शेयर भी हैं।
कंपनी के बयान में वैद्यनाथन के हवाले से कहा गया है कि 2010 में कैपिटल फस्ट के प्रारंभिक दिनों में इसकी पहुंच न तो कर्ज और न ही इक्विटी तक थी। 2012-13 में भारत में आर्थिक माहौल उथल-पुथल वाला था और ब्याज दरें बढ़ रही थीं ऐसे में एक नए बिजनेस को खड़ा करना मुश्किल था। ऐसी परिस्थितियों में भी, अपनी अच्छी नौकरी छोड़कर लोग हमसे जुड़े, उन्होंने कठोर मेहनत की, रणनीतियां बनाईं, कई नए नवाचार पेश किए और कारोबार के नए रास्ते खोजे।
वैद्यनाथन ने कहा कि उपहार पाने वाले कर्मचारियों में तीन ऐसे व्यक्ति भी हैं जो अब संगठन के साथ नहीं हैं, लेकिन उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। आईडीएफसी बैंक के साथ कैपिटल फर्स्ट के विलय के रूप में बैंक कैपिटल फर्स्ट के प्रत्येक 10 शेयरों के बदले 139 शेयर देगा। आईडीएफसी बैंक के एमडी और सीईओ राजीव लाल विलय के बाद बनने वाली नई इकाई के गैर-कार्यकारी चेयरमैन होंग और वैद्यनाथन इसके एमडी और सीईओ होंगे।