नई दिल्ली। जुलाई में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के तहत पहले महीने में ही लगभग 95,000 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्रित कर अपनी पीठ थपथपाने वाली सरकार के इस समय पसीने छूटे हुए हैं। कुल टैक्स में से व्यापारियों ने 65,000 करोड़ रुपए के ट्रांजिशनल क्रेडिट का दावा किया है, जिससे सरकार और अधिकारी दोनों भौचक हैं।
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि एक करोड़ रुपए से ऊपर के सभी ट्रांजिशनल क्रेडिट दावों क जांच की जाए। विभाग को गलती या भ्रम के कारण अपात्र दावा किए जाने की संभावना है। यदि 65,000 करोड़ रुपए के ट्रांजिशनल क्रेडिट दावे सही पाए जाते हैं, तो इससे जीएसटी के तहत राजस्व इकट्ठा होने का जो अनुमान लगाया गया था, उससे काफी कम राजस्व मिलेगा।
इसके अलावा सरकार को व्यापारियों से इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम भी मिला है, जिसके आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने जीएसटी के अंतर्गत जुलाई में 64 फीसदी अनुपालन के साथ 95,000 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्रित किया है।
जीएसटी व्यवस्था में बदलाव के दौर में एक करोड़ रुपए से अधिक के क्रेडिट बकाये का दावा करने वाली 162 कंपनियां अब टैक्स विभाग की जांच के दायरे में है। जांच के बाद ही तय होगा कि इन कंपनियों के दावे सही हैं या नहीं। भारी भरकम दावों के मद्देनजर बोर्ड के सदस्य महेंद्र सिंह द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि जीएसटी व्यवस्था की संक्रमण अवधि का बकाया तभी भुगतान किया जाएगा, जब यह कानून के तहत मान्य होगा।
बोर्ड ने मुख्य आयुक्तों को कहा है कि इन 162 कंपनियों के दावों पर 20 सितंबर तक एक रिपोर्ट दें। सीबीईसी ने जीएसटी प्रणाली के तहत सिर्फ योग्य दावों को ही आगे बढ़ाया जाना सुनिश्चित करने के लिए फील्ड ऑफिसरों से कहा है कि वे नए दाखिल रिटर्न को पुरानी व्यवस्था के तहत दाखिल रिटर्न से मिलाएं। उन्हें यह भी जांचने के लिए कहा गया है कि ये दावे जीएसटी कानून के तहत योग्य हैं या नहीं।
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