नयी दिल्ली: कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए खरीफ फसलों की कटाई से पहले पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को करीब 491 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही पंजाब और हरियाणा सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की जाएगी। खरीफ की प्रमुख फसल धान की कटाई अक्टूबर से शुरू होगी। धान फसल की कटाई के बाद खेतों में इसके ठूंठ रह जाते हैं जिसे किसान जलाते हैं।
उत्तर भारत में पराली जलाना लंबे समय से वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण रहा है, जबकि केंद्र सरकार ने पिछले चार वर्षों में इस मुद्दे को हल करने के लिए 2,245.17 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। पत्रकारों से बात करते हुए, अग्रवाल ने कहा कि राज्यों से कहा गया है कि ग्राम सभाओं को खेतों में फसल अवशेषों के बेहतर प्रबंधन के लिये मशीनें किराये पर उपलब्ध कराने का केन्द्र खोलने की अनुमति दी जानी चाहिये। इससे छोटे किसानों को काफी सुविधा होगी।
पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष में 2021-22 में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को 491 करोड़ रुपये जारी किए। इसमें से 235 करोड़ रुपये पंजाब को, 141 करोड़ रुपये हरियाणा को और 115 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश को जारी किए गए हैं। पिछले चार साल में इस समस्या से निपटने के लिये पंजाब को कुल 1,050.68 करोड़ रुपये, हरियाणा को 640.9 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश को 489.08 करोड़ रुपये और दिल्ली को 4.52 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इन राज्यों में फसल अवशेषों के प्रबंधन के मकसद से कृषि-मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक केंद्रीय योजना के हिस्से के रूप में फंड जारी किया गया है।
सचिव ने कहा कि नतीजतन, पंजाब में लगभग 21,125 ऐसे कस्टम हायरिंग केंद्र और हरियाणा में 4,224 केंद्र खोले गए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, किसानों के लाभ के लिए एक मोबाइल ऐप की पेशकश की गई ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस मशीन उपकरण केन्द्र में किस तरह की मशीनें और उपकरण हैं और कहा कि कई किसान इन केंद्रों का लाभ उठा रहे हैं। मशीन खरीदने और किराये पर मशीन देने के केन्द्रों को खोलने के लिए सब्सिडी देने के अलावा, सरकार इस मुद्दे पर किसानों में जागरूकता पैदा कर रही है।
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