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पीएम-किसान योजना के तहत अब तक किसानों को 12,305 करोड़ रुपये वितरित किए गए

केंद्र ने पीएम-किसान कार्यक्रम के तहत लाभार्थी किसानों को अब तक 12,305 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस कार्यक्रम के तहत किसानों को तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये की सीधी नकद सहायता दी जा रही है ताकि उनकी आय बढ़ाने में मदद की जा सके।

Rs 12305 cr disbursed so far to farmers under PM-KISAN scheme- India TV Paisa Rs 12305 cr disbursed so far to farmers under PM-KISAN scheme

नयी दिल्ली: केंद्र ने पीएम-किसान कार्यक्रम के तहत लाभार्थी किसानों को अब तक 12,305 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस कार्यक्रम के तहत किसानों को तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये की सीधी नकद सहायता दी जा रही है ताकि उनकी आय बढ़ाने में मदद की जा सके। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, "सरकार ने हाल ही में प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना शुरू की है जो एक फरवरी से प्रभावी है। इसका मकसद है कि इससे किसान अपनी खेती और संबद्ध गतिविधियों के साथ-साथ घरेलू आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।"

हाल ही में, केंद्र ने सभी 14.5 करोड़ किसानों को इस योजना का लाभ देने का फैसला किया, फिर उनकी जोत छोटी या बड़ी जैसी भी हो। इसके कारण सरकार पर प्रतिवर्ष 87,217.50 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ आयेगा। किसानों को सहायता राशि के संवितरण की ताजा जानकारी देते हुए, तोमर ने एक अलग प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘‘अब तक, पीएम- किसान योजना के तहत पहली किस्त में 3,29,52,568 लाभार्थियों को और दूसरी किस्त में 2,85,73,889 लाभार्थी किसानों के परिवारों के खाते के बैंक खातों में सीधे धनराशि जमा करायी गयी है।" बताया गया है कि सरकार ने पहली किस्त जारी करने पर 6,590.51 करोड़ रुपए और दूसरी किस्त के लिए 5,714.77 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

मंत्री ने कहा, "पीएम- किसान योजना एक निरंतर और चल रही योजना है, जिसमें वित्तीय लाभ को चिह्नित लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे तौर पर अंतरित किया जाता है। लेकिन इसके लिए संबंधित राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को पीएम-किसान वेब पोर्टल पर लाभार्थियों का सही और सत्यापित डेटा अपलोड करना होता है।" राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा अपलोड किया गया डेटा बैंकों सहित विभिन्न एजेंसियों द्वारा बहु-स्तरीय सत्यापन और मान्यता प्राप्त करने के दौर से गुजरता है, और फिर लाभ की राशि को लाभार्थियों के खातों में अंतरित किया जाता है।

तोमर ने कहा, "इस प्रक्रिया में, कई बार, अस्वीकृत डेटा को सुधार के लिए राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों को लौटा दिया जाता है। हालांकि इस परिणाम के परिणामस्वरूप पहचान किए गए लाभार्थियों को लाभ जारी करने में देरी होती है। लेककिन यह आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लाभ सही लाभार्थी तक पहुंचे।" मंत्री ने बताया कि सरकार ने तय किया है कि लाभार्थियों के नाम पोर्टल में अपलोड किए जाने के बाद चार-मासिक अवधि से भुगतान प्राप्त करने और बाद की किस्तों को प्राप्त करने के पात्र होंगे।

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