राज्य सभा से मंजूरी के बाद भी जीएसटी की राह नहीं आसान, यहां समझिए इसकी पूरी रूपरेखा
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद अब सरकार इसे एक अप्रैल, 2017 से क्रियान्वित करने की तैयारी में जुट गई है।
नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद अब सरकार इसे एक अप्रैल, 2017 से क्रियान्वित करने की तैयारी में जुट गई है। जीएसटी के क्रियान्वयन के लिए अभी कई चीजें करने की जरूरत होगी। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने जीएसटी क्रियान्वयन की जो रूपरेखा पेश की वह इस प्रकार है :
- 30 दिन में कम से कम 16 राज्यों से जीएसटी का अनुमोदन हासिल करना होगा।
- विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद मंत्रिमंडल जीएसटी परिषद को मंजूरी देगा।
- जीएसटी परिषद आदर्श-जीएसटी-अधिनिमय की सिफारिश करेगी।
- सीजीएसटी (केंद्रीय जीएसटी) और आईजीएसटी (समन्वित जीएसटी) विधेयकों को कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी।
- इसी तरह सभी राज्य एसजीएसटी (राज्य जीएसटी) विधेयकों को भी मंजूरी देंगे।
- आगामी शीतकालीन सत्र में सीजीएसटी, आईजीएसटी कानूनों को पारित कराया जाएगा।
- 31 मार्च, 2017 तक जीएसटी नियमों की अधिसूचना जारी की जाएगी।
- जीएसटी के लिए सॉफ्टवेयर दिसंबर, 2016 तक तैयार होगा।
- जनवरी-मार्च के बीच जीएसटी सॉफ्टवेयर का परीक्षण और एकीकरण का काम होगा।
- राज्यों और केंद्र के अधिकारियों का प्रशिक्षण दिसंबर तक पूरा होगा।
- अंशधारकों के साथ विचार-विमर्श मार्च, 2017 तक पूरा होगा।
- वैट, सेवा कर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क प्रणालियां मार्च, 2017 तक जीएसटी प्रणाली में मिल जाएंगी।
उद्योग जगत ने बताया इसे एतिहासिक कदम
राज्यसभा में जीएसटी विधेयक के पारित होने पर प्रसन्नता जताते हुए उद्योग जगत ने इसे एतिहासिक कदम बताया और कहा कि यह बहु-प्रतीक्षित अप्रत्यक्ष कर सुधार अर्थव्यवस्था की वृद्धि में उल्लेखनीय योगदान देगा तथा वस्तु एवं सेवाओं की लागत में कमी लाएगा।
उद्योग मंडल सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने जीएसटी को देश में कर क्षेत्र में एक बड़ा सुधार बताया और कहा, जीएसटी से वस्तुओं एवं सेवाओं पर विभिन्न बहु-स्तरीय अप्रत्यक्ष कर के दुष्प्रभाव कम होने की उम्मीद है। यह देश के अधिकतर केंद्रीय और राज्य स्तरीय शुल्कों एवं करों को समाहित करेगा। इससे पूरा देश एक साझा बाजार बनेगा।
एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोडि़या ने जीएसटी पारित होने को भारत के आर्थिक सुधारों में 1991 के सुधारों के बाद मील का पत्थर बताया। हालांकि उन्होंने कहा कि अब एक बड़ी चुनौती इसे लोगों के अनुकूल बनाना है।
फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्द्धन नेवतिया ने कहा, इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित कराने में विपक्षी दलों का सहयोग लोकतंत्र की आधारशिला है और यह उद्योग को देश में सुधारों की प्रगति को लेकर काफी उम्मीदें बढ़ाता है।