मुंबई। कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतों में हाल में हुई बढ़ोतरी से देश के निर्यात पर असर पड़ेगा और चालू खाता घाटा (CAD) बढ़कर GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का 2.5 फीसदी तक पहुंच सकता है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सोमवार को यह बात कही है। एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट - 'तेल में उबाल : तेल की अर्थव्यवस्था को समझने का वक्त' में मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने अनुमान जाहिर किया है कि तेल कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल वृद्धि से देश के आयात बिल में आठ अरब डॉलर की वृद्धि होती है। हालांकि, यह अनुमान है और वास्तविक वृद्धि में अंतर हो सकता है।
दिल्ली में सोमवार को पेट्रोल की कीमत नई ऊंचाई पर पहुंच कर 76.57 रुपये प्रति लीटर हो गई। जबकि इससे पहले यहां पेट्रोल की सबसे ऊंची कीमत साल 2103 में 14 सितंबर को 76.06 रुपये प्रति लीटर थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे मॉडल के अनुमानों से पता चलता है कि कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल (प्रति 159 लीटर) की बढ़ोतरी से आयात बिल में आठ अरब डॉलर की बढ़ोतरी होती है, जिससे जीडीपी में 16 आधार अंकों (बीपीएस) की वृद्धि होती है। इसके कारण राजकोषीय घाटे में आठ बीपीएस की, चालू खाता घाटा में 27 बीपीएस की और मुद्रास्फीति में 30 बीपीएस की वृद्धि होती है।
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