नई दिल्ली। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने वेस्ट प्लास्टिक-टू-रोड टेक्नोलॉजी की पेशकश करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से संपर्क किया है। वेस्ट प्लास्टिक-टू-रोड टेक्नोलॉजी में सड़क निर्माण के लिए एंड-ऑफ-लाइफ प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है। आरआईएल अपनी इस टेक्नोलॉजी की मदद से कुछ पायलेट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है और उसने अपने रायगढ़ जिले के नागोथाने विनिर्माण साइट पर 40 किलोमीटर सड़क का निर्माण 50 टन एंड-ऑफ-लाईफ प्लास्टिक को बिटूमिन के साथ मिलाकर किया है।
कंपनी के सीओओ, पेट्रोकेमिकल बिजनेस, विपुल शाह ने कहा कि इस टेक्नोलॉजी को विकसित करने में हमें 14-18 माह का समय लगा, जहां हम एंड-ऑफ-लाइफ वेस्ट प्लास्टिक का उपयोग सड़क निर्माण में करते हैं। हम एनएचएआई के साथ अपने अनुभव को साझा करने और सड़क निर्माण के लिए एंड-ऑफ-लाइफ प्लास्टिक का उपयोग करने में मदद के लिए बातचीत कर रहे हैं।
एनएचएआई के साथ ही आरआईएल अपनी टेक्नोलॉजी को साझा करने के लिए राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन के साथ भी बात कर रही है। शाह ने वेस्ट प्लास्टिक के उपयोग के फायदों के बारे में बताया कि यह न केवल प्लास्टिक के स्थायी उपयोग को सुनिश्चित करता है बल्कि यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य भी है।
शाह ने बताया कि हमारा अनुभव है कि एक किलोमीटर सड़क बनाने में एक टन वेस्ट प्लास्टि का उपयोग होता है और इससे एक लाख रुपए तक की बचत होती है। इस तरह हमनें 40 किलोमीटर सड़क बनाने में 40 लाख रुपए की बचत की है। उन्होंने कहा इतना ही नहीं प्लास्टिक के उपयोग से सड़क की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है।
वित्त वर्ष 2020-21 में एनएचएआई द्वारा 10,000 किलोमीटर फोन लेन सड़क निर्माण करने का अनुमान है, इस तरह कुल 40,000 किलोमीटर सड़क निर्माण होगा, जिसमें 40,000 टन वेस्ट प्लास्टिक का उपयोग किया जा सकता है। इतना ही नहीं अन्य राज्य और स्थानीय प्रशासन द्वारा भी 23,000 किलोमीटर सड़क निर्माण करने का अनुमान है। इस तरह देखें तो 86,000 टन वेस्ट प्लास्टिक का उपयोग किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में सबसे बड़ी चुनौती वेस्ट प्लास्टिक का संग्रह और छंटाई है। शाह ने कहा कि अभी तक हपने इसके लिए कोई वाणिज्यिक मॉडल तैयार नहीं किया है। आगे हम कुछ ऐसे उत्पादों के विकास पर विचार कर सकते हैं, जिनका उपयोग सीधे सड़क निर्माण में किया जा सके। लेकिन यह तभी होगा जब हमें लगेगा कि इस बिजनेस के लिए मार्केट है।
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