कोविड- 19 की अनिश्चितता दूर होने के बाद हो सकती है नये वित्तीय उपायों की घोषणा: CEA
‘कोविड 19 का टीका तैयार होने पर काफी हद तक खत्म होगी अनिश्चितता’
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से जुड़ी अनिश्चितता के समाप्त होते ही सरकार मांग बढ़ाने के लिये नये वित्तीय उपायों की घोषणा कर सकती है। मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमणियम ने बुधवार को यह बात कही। इस दौरान उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिये नीतियां बनाये जाने को महत्वपूर्ण बताया। प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुये सुबमणियम ने कहा कि कोविड- 19 का टीका यदि तैयार हो जाता है तो इस महामारी को लेकर बाजार में व्याप्त अनिश्चितता काफी हद तक कम हो जायेगी। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार अपने स्तर पर वह कर रही है जो कि सरकारी खपत बढ़ाने के मामले में जरूरी है लेकिन इसमें समय और परिस्थिति काफी महत्वपूर्ण है। जब तक अनिश्चितता व्याप्त है, यहां तक कि लोगों की जेब में यदि पैसा है भी तो भी वह उसे बैंक में रखना ही पसंद करेंगे।’’
सुब्रमणियम ने उदाहरण देते हुये कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गये खातों में जमा राशि में 20,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि अनिश्चितता के चलते लोग खर्च करने के बजाय इसकी बचत कर रहे हैं। यहां तक कि जनधन खाताधारक भी धन को खर्च करने के बजाय उसकी बचत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कहने का तात्पर्य यह है कि यदि टीका तैयार हो जाता है तो अनिश्चितता दूर होगी। और मेरा मानना है कि वह समय वित्तीय प्रोत्साहनों के लिये काफी उचित होगा, उससे निश्चित ही मांग बढ़ेगी, यहां तक की महंगी और दूसरे गैर- जरूरी उत्पादों की भी मांग बढ़ेगी।’’ सुब्रमणियम ने कहा कि मांग महत्वपूर्ण है, परिस्थितियों का मुकाबला करने वाली नीतियां महत्वपूर्ण है लेकिन इसके साथ ही खर्च किये गये धन के सही मूल्य के लिये समय भी काफी महत्वपूर्ण है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिये भविष्य में और कदम उठाने को तैयार है। कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये सरकार ने मई में 20.97 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है। विशेषज्ञों और विश्लेकों का मानना है कि यह पैकेज जीडीपी का करीब 10 प्रतिशत है और इसमें ज्यादातर आपूर्ति पक्ष पर जोर दिया गया है लेकिन मांग पक्ष की अड़चनों को यह दूर नहीं करता है।