नई दिल्ली। भारत में वृद्धि दर अभी भी चिंता का विषय है। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट (डीएंडबी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के नौ माह और जीएसटी के दो माह बाद भी उपभोग और निवेश मांग कमजोर बनी हुई है। इसके अलावा रिपोर्ट में बैंकों के बढ़ते डूबे कर्ज और कंपनियों के कमजोर बही खातों और किसानों की ऋण माफी को भी इस समस्या की वजह बताया गया है।
इसमें कहा गया है कि मानसून की बारिश का वितरण छितराया हुआ है, जिससे ग्रामीण मांग प्रभावित हो सकती है। वहीं जीएसटी की वजह से भी कुछ अड़चनें आ सकती हैं, जिससे कंपनियों की बिक्री प्रभावित हो सकती है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी के क्रियान्वयन से कारोबार जगत को मध्यम से दीर्घावधि में फायदा होगा।
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया के लीड अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा, नोटबंदी के नौ माह और जीएसटी के क्रियान्वयन के दो माह बाद निवेश और उपभोग के लिए मांग कमजोर बनी हुई है। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट का अनुमान है कि जुलाई माह में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर 2.2 से 2.4 प्रतिशत के निचले स्तर पर रहेगी।
भारत के श्रम कानूनों को लेकर चिंतित है हांगकांग
भारतीय श्रम बाजार में लचीलापन की कमी को लेकर हांगकांग चिंतित है। एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री ने यहां कहा कि भारत में मझोले और लघु उद्योगों को जरूर के हिसाब से भरने-निकालने की नीति अपनाने की छूट होनी चाहिए।
हांगकांग व्यापार विकास परिषद (एचकेटीडीसी) के प्रमुख अर्थशास्त्री डिक्सन हो ने कहा कि हांगकांग के कारोबारी भारत के बढ़ते बाजार की संभावनाओं को जानते हैं लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि इसका दोहन कैसे किया जाए। हालांकि डिक्सन ने इस बात को माना कि भारत में सस्ता श्रम लाभ की स्थिति प्रदान करता है, लेकिन द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत को हांगकांग के मझोले और लघु उद्योगों से संपर्क करना चाहिए।
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