नई दिल्ली। भारत में रेट्रोस्पेक्टिव (पिछली तिथि से कर लगने) टैक्स का डर विदेशी कंपनियों के लिए सिर पर लटकी तलवार की तरह है। वैश्विक प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने यह बात कही। माइक्रोसॉफ्ट के साथ दो अन्य बड़ी अमेरिकी कंपनियों ने भी देश में अनिश्चित टैक्स व्यवस्था को लेकर चिंता जताई है।
माइक्रोसॉफ्ट, जीई तथा लॉकहीड मार्टिन के शीर्ष अधिकारियों ने यहां एक सम्मेलन में इस मुद्दे पर एक राय जताई। सभी ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि देश में निवेश बढ़ाने के लिए कराधान नियम विश्वसनीय होने चाहिए। जीई तथा लॉकहीड मार्टिन ने सरकार की निविदा तथा बोली प्रक्रियाओं में कमियों को दूर करने की बात कही। वहीं माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि भारत में डेटा सुरक्षा के मुद्दे पर विश्वास की कमी को दूर करने की जरूरत है।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के चेयरमैन भास्कर प्रमाणिक ने यहां भारत-अमेरिका के बीच व्यापार बढ़ाने के बारे में आयोजित सम्मेलन में कहा, यह टैक्स हमारे ऊपर तलवार की भांति लटक रहा है। मुझे लगता है कि सिर्फ अमेरिकी कंपनियां ही नहीं, प्रत्येक कंपनी इससे प्रभावित है। प्रमाणिक ने कहा, यदि आप मेरे पास आएं और कहें मैं आपका टैक्स 35 फीसदी बढ़ा रहा हूं तो इससे मुझे कोई समस्या नहीं है। मैं अपने व्यापार मॉडल में इसके अनुरूप बदलाव लाऊंगा, लेकिन आप मेरे पास आएं और कहें कि पिछले दस साल के लिए मैं आपसे 35 फीसदी और टैक्स लूंगा, तो मुझे समस्या होगी। मुझे लगता है कि पिछली तारीख से टैक्स अभी समाप्त नहीं हुआ है।
इसी तरह की राय जताते हुए जीई दक्षिण एशिया के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी बनमाली अग्रवाल ने कहा कि कराधान विदेशी कंपनियों के लिए अभी भी मुद्दा है। विशेषरूप से अमेरिकी कंपनियों के लिए। इस पर हम सरकार से कुछ आरामदायक स्थिति चाहते हैं। लॉकहीड मार्टिन इंडिया के मुख्य कार्यकारी फिल शॉ ने कहा कि उन्हें जो चुनौतियां दिख रही हैं उनमें भारत की कराधान व्यवस्था भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हम रक्षा क्षेत्र में विशेषरूप से खरीद में कुछ विश्वसनीयता चाहते हैं।
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