नई दिल्ली। कृषि और ग्रामीण मजूदरों की खुदरा महंगाई दर अप्रैल में खाद्य वस्तुओं के सस्ता होने के चलते मामूली रूप से कम होकर क्रमशः 2.66 प्रतिशत और 2.94 प्रतिशत रही। श्रम मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, ‘‘सीपीआई-एएल (कृषि मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) और सीपीआई-आरएल (ग्रामीण मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर अप्रैल 2021 में घटकर क्रमश: 2.66 प्रतिशत और 2.94 प्रतिशत रह गई, जो मार्च 2021 में क्रमश: 2.78 प्रतिशत और 2.96 प्रतिशत थी।’’
सीपीआई-एएल और सीपीआई-आरएल पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल 2021 में क्रमश: 1.24 फीसदी और 1.54 फीसदी रही। इस सूचकांक में एक राज्य से दूसरे राज्य में अंतर हो सकता है। कृषि श्रमिकों के मामले में सूचकांक में 16 राज्यों में एक से लेकर 17 अंक की वृद्धि हुई जबकि चार राज्यों में एक से चार अंक की गिरावट भी आई। तमिलनाडु 1,249 अंक के साथ सबसे ऊपर रहा जबकि हिमाचल प्रदेश 813 अंक के साथ सबसे नीचे रहा। ग्रामीण श्रमिकों के मामले में सूचकांक में 17 राज्यों में 1 से 18 अंक की वृद्धि हुई जबकि तीन राज्यों में एक से चार अंक की गिरावट दर्ज की गई। इसमें भी 1,233 अंक के साथ तमिलनाडु सबसे ऊपर रहा जबकि बिहार 851 अंक के साथ सूची में सबसे नीचे रहा।
कृषि श्रमिकों और ग्रामीण श्रमिकों के मामले में सूचकांक में सबसे ज्यादा 17 और 18 अंक की वृद्धि पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई। चावल, सरसों तेल, जलाने की लकड़ी, मिट्टी तेल और सब्जियों एवं फल के दाम बढ़ने से सूचकांक में वृद्धि हुई। वहीं दूसरी तरफ कृषि श्रमिकों के सूचकांक में सबसे ज्यादा गिरावट आंध्र प्रदेश में आई और ग्रामीण श्रमिकों के सूचकांक में आंध्रप्रदेश और त्रिपुरा में चार अंक की गिरावट दर्ज की गई। इनमें चावल, प्याज, कपास फल एवं सब्जियों के दाम घटने से गिरावट दर्ज की गई।
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