जानिए 10 बड़ी बातों समेत कैसे कम होगी आपकी EMI, RBI ने रेपो रेट में की 35 बेसिस अंकों की कटौती
रेपो रेट में कटौती के बाद अब बैंकों पर भी कर्ज की दरों को कम करने का दबाव बढ़ेगा और हो सकता है कि आने वाले दिनों में बैंक होम और कार लोन की दरों में कटौती करें।
India TV Business Desk Aug 07, 2019, 12:49:05 IST
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.35 प्रतिशत घटाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया है। वहीं रिवर्स रेपो रेट 5.15 फीसदी किया है। रेपो रेट में कटौती के बाद अब बैंकों पर भी कर्ज की दरों को कम करने का दबाव बढ़ेगा और हो सकता है कि आने वाले दिनों में बैंक होम और कार लोन की दरों में कटौती करें। हालांकि बैंक इस फैसले के बाद जमा पर दिए जाने वाले ब्याज की दरों में भी कटौती कर सकते हैं। मौद्रिक नीति समिति (MPC) के 6 सदस्यों में से 4 सदस्य 0.35 फीसदी कटौती के पक्ष में थे। वहीं 2 सदस्य 0.25 फीसदी की कटौती चाहते थे। MPC ने ब्याज दरों पर नरम रुख कायम रखा है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019 के लिए GDP ग्रोथ लक्ष्य भी घटाया है। जानिए रेपो रेट कम होने से कैसे होगा आपका फायदा समेत ये 10 बड़ी बातें।
आपको मिलेगा ये फायदा- रेपो रेट कम होने से बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग प्राप्त हो सकेगी, इसलिए बैंक भी अब कम ब्याज दर पर होम, कार लोन सहित अन्य लोन ऑफर कर पाएंगे। इसका फायदा उन लोगों को सीधा मिलेगा जिनकी होम लोन या ऑटो लोन चल रही है। इसके अलावा बैंक से नए लोन लेने की स्थिति में भी पहले के मुकाबले ज्यादा राहत मिलेगी।
- केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो दर 5.15 प्रतिशत कर दिया है जबकि उधार की सीमांत स्थायी सुविधा (मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट/एमएसएफ) पर ब्याज दर और बैंक दर 5.65 प्रतिशत कर दिया है। इस कटौती के बाद अब बैकों के पास पहले के मुकाबले अधिक नकदी रहेगी और वह कर्ज की दरों में कटौती कर सकते हैं।
- रिजर्व बैंक ने 2020 की पहली तिमाही में 7.4 प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद जताई है।
- आरबीआई ने मौद्रिक नीति के लिये नरम रुख बरकरार रखा। उसने कहा कि महंगाई दर लक्ष्य के दायरे में रहेगी।
- रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर अनुमान 7 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत किया।
- आरबीआई ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही में 3.5 से 3.7 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान।
- जिन ग्राहकों के लोन एमसीएलआर से जुड़े हैं, उनकी ईएमआई का बोझ कम होगा। इसके लिए जरूरी है कि बैंक एसीएलआर में कटौती करें। हालांकि, फायदा तभी से शुरू होगा जब लोन की रीसेट डेट आएगी। अमूमन बैंक छह महीने या सालभर के रीसेट पीरियड के साथ होम लोन की पेशकश करते हैं। रीसेट डेट आने पर भविष्य की ईएमआई उस समय की ब्याज दरों पर निर्भर करेंगी।
- जिन ग्राहकों के लोन अब भी बेस रेट या बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर) से जुड़े हैं, उन्हें अपने होम लोन को एमसीएलआर आधारित व्यवस्था में स्विच कराने पर विचार करना चाहिए। कारण है कि नई व्यवस्था में पारदर्शिता अधिक है। इनमें पॉलिसी रेट में कटौती का असर तुरंत दिखता है।
- नए ग्राहक नए होम लोन ग्राहक एमसीएलआर व्यवस्था में लोन ले सकते हैं। उनके पास एक्सटर्नल बेंचमार्क व्यवस्था का मूल्यांकन करने का भी विकल्प है। इसके लिए उन्हें थोड़ा इंतजार करना होगा। इस तरह की व्यवस्था पर दिशानिर्देश आने बाकी हैं।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार चौथी बार ब्याज दरें घटाई हैं, इसके साथ ही रेपो रेट 9 साल के निचले स्तर पर है। मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee/एमपीसी) की अगली बैठक एक, तीन और चार अक्टूबर 2019 को होगी।