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Hindi News पैसा बिज़नेस इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैकिंग पाकिस्तान से भी खराब, मिला 143 वां स्थान

इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैकिंग पाकिस्तान से भी खराब, मिला 143 वां स्थान

आर्थिक स्वतंत्रता के एक वार्षिक सूचकांक में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और यह 123 वें स्थान से खिसक कर 143 वें स्थान पर पहुंच गया है।

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वाशिंगटन। आर्थिक स्वतंत्रता (इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स) के एक वार्षिक सूचकांक में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और यह 123 वें स्थान से खिसक कर 143 वें स्थान पर पहुंच गया है। अमेरिकी रिसर्च संस्थान द हेरिटेज फाउंडेशन की इंडेक्स ऑफ इकनॉमिक फ्रीडम में भारत की रैकिंग उसके पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान समेत कई दक्षिण एशियाई देशों से पीछे है। इसका प्रमु़ख कारण भारत में बाजार को ध्यान में रखकर किए गए आर्थिक सुधारों से होने वाली प्रगति का असमान होना बताया गया है।

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भारत की रेटिंग में आई बड़ी गिरावट

  • इस सूचकांक में भारत ने कुल 52.6 अंक हासिल किए जो पिछले साल के मुकाबले 3.6 अंक कम है। पिछले साल इस सूचकांक में भारत की रैंकिंग 123 थी।

हांगकांग, सिंगापुर और न्यूजीलैंड नंबर-1

  • इस सूचकांक में हांगकांग, सिंगापुर और न्यूजीलैंड शीर्ष पर रहे हैं। दक्षिण एशियाई देशों में भारत से नीचे अफगानिस्तान 163 और मालदीव 157वें स्थान पर हैं, जबकि इस सूचकांक में नेपाल का स्थान 125, श्रीलंका का 112, पाकिस्तान का 141, भूटान का 107 और बांग्लादेश का 128 है।

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चीन की रेटिंग में हुआ सुधार

  • चीन ने इस सूचकांक में 57.4 अंक हासिल किए जो पिछले साल के मुकाबले 5.4 अंक ज्यादा है। इस साल उसका स्थान 111 वां रहा है। अमेरिका 75.1 अंक हासिल कर 17वें स्थान पर रहा है। इस सूचकांक में वैश्विक औसत 60.9 अंक रहा जो पिछले 23 साल में रिकॉर्ड उच्चस्तर है।

क्यों पिछड़ा भारत

  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले पांच साल में औसतन सात फीसदी की दर से सतत वृद्धि हुई है लेकिन यह वृद्धि नीतियों में गहरे तक नहीं समाई है जिससे कि आर्थिक स्वतंत्रता का संरक्षण किया जा सके।
  • इस कंजरवेटिव राजनीतिक विचारधारा के शोध समूह की रिपोर्ट में भारत को अधिकांशतया गैर-खुली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि भारत में बाजार आधारित सुधारों से हुई प्रगति असमान रही है।

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और क्या है रिपोर्ट में खास

  • इसमें कहा गया है कि राज्य ने लोक उपक्रमों के माध्यम से कई क्षेत्रों में अपनी एक व्यापक उपस्थिति बनाए रखी है। इसके अलावा प्रतिबंधात्मक और भारी-भरकम नियामकीय वातावरण से उद्यमिता हतोत्साहित होती है। यदि यह ना हो तो निजी क्षेत्र का व्यापक प्रसार किया जा सकता है।

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