नई दिल्ली। भारत भले ही आक्रमक तरीके से 40,000 करोड़ रुपए के राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष (एनआईआईएफ) के लिए कोष आकर्षित करने में लगा है, लेकिन वैश्विक निवेशक इसमें निवेश को लेकर सतर्कता का रूख अपना सकते हैं। बीएमआई रिसर्च की रिपोर्ट में यह कहा गया है। फिच समूह की कंपनी ने कहा कि देश में बुनियादी ढांचा के समक्ष चुनौतियां बनी हुई है जिससे अंतरराष्ट्रीय निवेश हतोत्साहित हो रहा है।
कंपनी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, भारत सरकार बुनियादी ढांचा क्षेत्र में आक्रामक तरीके से विदेशी निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। उसका 1,000 अरब डॉलर के निवेश पर जोर है। हालांकि हमारा अनुमान है कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक कोष में निवेश को लेकर सतर्क बने रहेंगे जिसके जरिये देश में वित्तपोषण में अंतर को भरने पर जोर दिया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार अबतक एनआईआईएफ ने रूस की रूसानो, अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी तथा कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी समेत सरकारी संपत्ति कोष के साथ सहमति पत्र के जरिये समर्थन हासिल किया है। हालांकि बीएमआई रिसर्च का कहना है, कोष को लेकर रुचि उत्साहजनक है लेकिन पूंजी को लेकर औपचारिक प्रतिबद्धता सामने आना अभी बाकी है।
सरकार ने वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक नई, पुरानी एवं अटकी पड़ी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये एक निवेश इकाई के रूप में पिछले साल दिसंबर में एनआईआईफ का गठन किया। सरकार एनआईआईएफ में 20,000 करोड़ रुपए निवेश करेगी, शेष राशि निजी निवेशकों की तरफ से आएगी। बीएमआई रिसर्च ने आगे कहा, देश के 6 अरब डॉलर के एनआईआईएफ की संभावना अल्पकाल में पूरी नहीं होगी, हालांकि निवेश के लिये परियोजनाओं का चयन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियां हैं जो अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने में बाधक है। एनआईआईएफ में निवेश को लेकर निवेशकों की रूचि में कमी की वजह के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका कारण संभवत: भारत का निवेश परिदृश्य है जो चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
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