वर्धा में शुरू होगा रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन, जिंदल ओडिशा प्लांट से शुरू करेगी ऑक्सीजन की सप्लाई
वर्धा की जेनटेक लाइफ साइंसेज को रेमडेसिविर इंजेक्शनन के विनिर्माण के लिए लाइसेंस मिला है।
नई दिल्ली। मंगलवार को कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रहे भारत के लिए दो अच्छी खबरे आई हैं। पहली तो यह कि जेनटेक लाइफसाइसेंस महाराष्ट्र के वर्धा में रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बुधवार से शुरू करेगी। दूसरी अच्छी खबर है कि जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड ने अपने ओडिशा के जयपुर स्थित स्टील प्लांट से अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति शुरू करने की घोषणा की है। इन खबरों से जल्द ही कोरोना वायरस की दूसरी लहर को नियंत्रित करने की संभावना और मजबूत हुई है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि जेनटेक लाइफसाइंसेस महाराष्ट्र के वर्धा में कोविड-19 के इलाज में उपयोग किए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बुधवार से शुरू करेगी। नागपुर में कोविड केयर सेंटर का उद्घाटन करते हुए गडकरी ने कहा कि कंपनी प्रतिदिन 30,000 शीशी तैयार करेगी। देश में अस्पतालों में गंभीर स्थिति में भर्ती कोविड-19 के संदिग्ध और प्रयोगशाला रिपोर्ट के जरिये पुष्ट किए गए व्यस्क मरीजों और बच्चों में रेमडेसिविर के सीमिति आपात उपयोग को मंजूरी दी गई है।
वर्धा की जेनटेक लाइफ साइंसेज को रेमडेसिविर इंजेक्शनन के विनिर्माण के लिए लाइसेंस मिला है। मंत्री ने कहा कि हैदराबाद की एक टीम वर्धा पहुंची है और परीक्षण जारी है तथा उत्पादन बुधवार से शुरू हो जाने की उम्मीद है। इस संयंत्र से उत्पादित रेमडेसिविर इंजेक्शन का वितरण नागपुर और विदर्भ के अन्य जिलों में किया जाएगा। जरूरत के अनुसार इसे महाराष्ट्र के दूसरे जिलों में भी वितरित किया जाएगा। गडकरी ने नागपुर में ऑक्सीजन की आपूर्ति दुरूस्त करने के लिए ये उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले कुछ दिनों में कोविड मामले में स्थिति सुधरेगी।
लोगों के जीवन की रक्षा स्टील उत्पादन से अधिक महत्वपूर्ण: सज्जन जिंदल
जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड ने कहा कि वह शनिवार से ओडिशा प्लांट से अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति मुफ्त में उपलब्ध कराएगी। जेएसडब्ल्यू समूह के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने मंगलवार को कहा कि इस समय उनके लिए अपने इस्पात कारखाने में इस्पात का उत्पादन करने से कहीं अधिक बड़ा काम कोविड-19 महामारी से जूझ रहे देश के लागों की जीवन रक्षा के प्रयास में हाथ बंटाना है। उन्होंने कहा कि समूह की इस्पात इकाई रोगियों के लिए जरूरी प्राण रक्षक गैस तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन (एलएमओ) की किल्लत कम करने के लिए इसकी आपूर्ति बढ़ाएगी। उन्होंने संकेत दिया कि ऑक्सीजन को अस्पतालों को देने के लिए कंपनी अपने इस्पात उत्पादन के साथ समझौता भी कर सकती है।
जिंदल ने कहा कि कंपनी के किसी संसाधन की देश को जब तक जरूरत है, तब तक वह उसका त्याग करने को तैयार है। गौरतलब है कि केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के निर्देश पर देश की इस्पात कंपनियों ने अपने कारखानों से एलएमओ विभिन्न राज्यों में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी पूरा करने के लिए भेजनी शुरू कर दी है। जिंदल ने एक बयान में कहा कि इस समय लोगों की जीवन रक्षा करना इस्पात बनाने से ज्यादा जरूरी है। कंपनी के संसाधन की देश को जब तक जरूरत है, उसके लिए उत्पादन का त्याग किया जा सकता है। इस्पात मंत्रालय के अनुसार इस्पात विनिर्माण संयंत्र पहले अपने पास 3.5 दिन की जरूरत की ऑक्सीजन का स्टॉक रखते थे। पर आज चिकित्सा की जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने केवल आधा दिन की जरूरत का ही गैस का रिजर्व रखना शुरू किया है।
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