नई दिल्ली। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस रिटेल और किशोर बियाणी के फ्यूचर एंटरप्राइजेज के बीच संभावित सौदा एक-दो दिन में पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है। शनिवार को दोनों कंपनियों के बोर्ड की बैठक होनी है, जिसमें सौदे को अंतिम रूप दिया जा सकता है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी भी उम्मीद जताई जा रही है कि यह सौदा पूरी तरह नकद में होगा। रिलायंस रिटेल फ्यूचर ग्रुप के सभी कर्ज और देनदारियों की जिम्मेदारी लेगा और एफएमसीजी इकाई में हिस्सेदारी खरीदेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक इस सौदे की कीमत 29,000 से 30,000 करोड़ रुपए हो सकती है और फ्यूचर ग्रुप की पांच यूनिट का फ्यूचर एंटरप्राइजेज लि. के साथ विलय किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक फ्यूचर एंटरप्राइजेज लि. सभी रिटेल कारोबार को मिलाकर उसे एक यूनिट के रूप में आरआईएल को बेचेगा।
बिजनेस डेली की रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस फ्यूचर ग्रुप को कर्ज चुकाने के लिए 13,000 करोड़ रुपए देगा। इसके अलावा 7,000 करोड़ रुपए देनदारियां (लैंडलोर्ड और वेंडर्स को भुगतान) चुकाने और 6000-7000 करोड़ रुपए प्रमोटर ग्रुप के लिए देगी। रिलायंस फ्यूचर एंटरप्राइजेज में 14 से 16 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए 3,000 करोड़ रुपए का भुगतान करेगी। इस सौदे के तहत फ्यूचर एंटरप्राइजेज रिलायंस रिटेल के साथ अपैरल और ग्रॉसरी के लिए एक लॉन्ग-टर्म सप्लाई एग्रीमेंट भी करेगी।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि रिलायंस रिटेल को इस सौदे से ग्रॉसरी और अपैरल सेगमेंट में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी हासिल होगी, जहां अभी ये मार्केट लीटर बनने की कोशिश में है। रिलायंस रिटेल ने पिछले वित्त वर्ष में 1.63 लाख करोड़ रुपए का राजस्व हासिल किया था। फ्यूचर ग्रुप के साथ सौदा होने के बाद आरआईएल को भारत के एक तिहाई से अधिक संगठित रिटेल मार्केट पर नियंत्रण हासिल करने में मदद मिलेगी।
इससे रिलायंस एक बड़ा मार्केट लीडर बन जाएगा और प्रतिस्पर्धियों पर काफी दबाव आ जाएगा। टेलीकॉम और डिजिटल सेगमेंट में यह पहले से ही मार्केट लीडर है, लेकिन रिटेल में अत्यधिक स्टोर सफलता की गारंटी नहीं है।
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