नई दिल्ली। रिलायंस जियो इंफोकॉम को मुंबई में एशिया-अफ्रीका-यूरोप वन (एएई-1) पनडुब्बी केबल प्रणाली के भारतीय हिस्से के निर्माण के लिए पर्यावरण मंजूरी मिल गई है। इस पर 60 लाख डॉलर का निवेश अनुमानित है।
एएई-1 अगली पीढ़ी की सबसे बड़ी समुद्री केबल प्रणाली है, जो करीब 25,000 किलोमीटर फैली है। यह दक्षिण एशिया को अफ्रीका तथा यूरोप से पश्चिम एशिया के रास्ते जोड़ती है। इसका निर्माण 17 वैश्विक सेवा प्रदाताओं द्वारा किया जा रहा है। परियोजना के भारतीय हिस्से का निर्माण रिलायंस जियो करेगी।
पिछले दिसंबर में पर्यावरण मंत्रालय के अधीन आने वाले विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने प्रस्ताव का परीक्षण किया और तटवर्ती नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) मंजूरी देने की सिफारिश की। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ईएसी की सिफारिशों के तहत पर्यावरण मंत्रालय ने एएई-1 समुद्री केबल प्रणाली परियोजना को सीआरजेड मंजूरी दे दी। यह परियोजना वर्सोवा बीच पर रिलायंस जियो इंफोकाम क्रियान्वित करेगी। अधिकारी ने कहा कि सीआरजेड मंजूरी कल दी गई, जो कुछ शर्तों के अनुपालन पर निर्भर है।
प्रस्तावित एएई-1 केबल सिस्टम का लक्ष्य टेलीकॉम कनेक्टीविटी को मजबूत करना, इंटरनेट ट्रैफिक को अतिरिक्त क्षमता और स्पीड प्रदान करना है। कंपनी ने इस प्रोजेक्ट के लिए वर्सोवा बीच को चुना है क्योंकि भारती एयरटेल लिमिटेड द्वारा यूरोप इंडिया गेटवे (ईआईजी) सबमरीन केबल और सिफी टेक्नोलॉजीज द्वारा गल्फ ब्रिज इंटरनेशनल केबल सिस्टम (जीबीआईसीएस) सबमरीन केबल यहां से बिछा़ई जा रही है। एक और अन्य प्रोजेक्ट बे ऑफ बंगाल गेटवे (बीबीजी) सबमरीन केबल सिस्टम को भी हाल ही में पर्यावरण मंजूरी मिली है, यह केबल वोडाफोन बिछाएगी।
रिलायंस जियो, जो कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की एक अनुषंगी है, के पास 14 सर्कल में 1800 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम और 22 सर्कल में 2300 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम है, जो इसे पूरे देश में 4जी वायरलेस सर्विस प्रदान करने में सक्षम बनाते हैं।
Latest Business News