नई दिल्ली। सरकार ने अरब सागर में स्थित पन्ना, मुक्ता और तापी (पीएमटी) तेल एवं गैस फील्ड मामले में अपने पक्ष में पंच निर्णय के फैसले के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज, रॉयल डच शेल तथा ओएनजीसी से संयुक्त रूप से 3 अरब डॉलर की मांग की है। सरकार तथा पीएमटी संयुक्त उद्यम से संबद्ध सूत्रों ने बताया कि हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) ने मई के अंत में ही मांग का यह नोटिस भेजा है। इस नोटिस में मांगी गई राशि में अक्टूबर 2016 में आए पंचनिर्णय के फैसले में आकलित सकल राशि तथा उसके ऊपर ब्याज तथा कुछ अन्य शुल्कों को शामिल किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक नोटिस में भुगतान की तारीख या अगर नहीं करने पर जुर्माने की बात का जिक्र नहीं है। सूत्रों ने बताया कि पंचनिर्णय के अंतिम निर्णय आने का इंतजार किए बिना यह नोटिस भेजा गया है। अभी मामले में संबंधित पक्षों के जवाब सुने जाने हैं। आरआईएल तथा शेल ने पिछले नवंबर में ब्रिटेन की एक अदालत में तीन सदस्यीय मध्यस्थ के समक्ष चुनौती दी थी। सिंगापुर के वकील क्रिस्टोफर लऊ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार के इस विचार को बरकरार रखा कि तेल एवं गैस फील्ड से लाभ का आकलल मौजूदा 33 प्रतिशत कर काटे जाने के बाद किया जाना चाहिए न कि पूर्व की 50 प्रतिशत दर के आधार पर।
मध्यस्थता अदालत ने यह भी कहा है कि परियोजना के अनुबंध में ताप्ती गैस फील्ड के लिए 54.5 करोड़ डॉलर तथा पन्ना-मुक्ता तेल एवं गैस फील्ड के लिए बिक्री आय से 57.75 करोड़ डॉलर की लागत निकालने की बात तय नियत है। दोनों कंपनियां चाहती थीं कि उन्हें इन परियोजनाओं में क्रमश: 36.5 करोड़ डॉलर और 6.25 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त लागत की निकासी की छूट हो।
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