दलहनों का उत्पादन बढ़ने से घटा आयात, सालाना 15 हजार करोड़ रुपये की बचत : कृषि मंत्री
कृषि मंत्री के मुताबिक देश में गेहूं व धान की खरीद तो एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर होती थी, लेकिन दलहन व तिलहन की खरीद की व्यवस्था नहीं थी, केंद्र सरकार ने किसानों को आय समर्थन के लिए इन्हें भी एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था की है, जिससे दलहन की पैदावार बढ़ाने में मदद मिली है।
नई दिल्ली।| केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि विगत वर्षो के दौरान देश में दलहनी फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी से दाल के आयात पर भारत की निर्भरता कम हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद दलहनों के आयात पर निर्भरता कम हुई है और इससे देश को प्रतिवर्ष 15000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत हो रही है। कृषि मंत्री ने कहा कि भारत, दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
केंद्रीय मंत्री तोमर बुधवार को विश्व दलहन दिवस पर भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बतौर अतिथि बोल रहे थे। इस मौके पर उन्होंने आईआईपीआर के क्षेत्रीय केंद्र भोपाल व बीकानेर में कार्यालय व प्रयोगशाला भवन का उद्घाटन भी किया, साथ ही आईआईपीआर के क्षेत्रीय केंद्र खोरधा (ओडिशा) की आधारशिला रखी।
नरेंद्र सिंह तोमर केंद्र सरकार में ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा, "विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन ने लोगों के स्वास्थ्य पर दलहनी फसलों के अच्छे प्रभाव को देखते हुए विश्व दलहन दिवस मनाने का निर्णय लिया है, जिससे दुनिया का ध्यान दलहनी फसलों को बढ़ावा देने पर जाएगा और हमारे सामूहिक प्रयासों को बल मिलेगा।" तोमर ने कहा कि देश में गेहूं व धान की खरीद तो एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर होती थी, लेकिन दलहन व तिलहन की खरीद की व्यवस्था नहीं थी, केंद्र सरकार ने किसानों को आय समर्थन के लिए इन्हें भी एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था की है।
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उन्होंने कहा कि बीते छह साल में दालों के एमएसपी में 40 फीसदी से 73 फीसदी तक बढ़ोतरी की गई है, जिसका लाभ निश्चित ही किसानों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए भी दलहन पर और काम करने की जरूरत है। इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की मुख्य भूमिका रही है, कृषि वैज्ञानिक अनेक किस्में देश को उपलब्ध करा रहे हैं, जिनसे उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने किसानों की आमदनी वर्ष 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है और इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में केंद्र व राज्य सरकारें और आईसीएआर के साथ-साथ किसान पूरी तन्मयता से काम कर रहे हैं, जिसका प्रतिफल मिलेगा।
किसानों को सुरक्षा कवच मिल सके और वे जोखिम से बेफिक्र हो सकें, इसलिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना परिवर्तित रूप में लागू की गई हैं। तोमर ने कहा कि देश में 86 फीसदी छोटे व सीमांत किसान है, उनको खेती से तभी मुनाफा होगा, जब वे महंगी फसलों की ओर आकर्षित होंगे और नई टेक्नालॉजी से जुड़ेंगे, जिससे कृषि उपज की लागत कम होगी। उन्होंने कहा कि बेहतर प्रजातियां एवं उच्च गुणवत्तायुक्त बीज अच्छी फसल का एक प्रमुख घटक है। इसे ध्यान में रखते हुए 150 दलहन बीज हब की स्थापना की गई है।
तोमर ने तिलहन के क्षेत्र में भी देश को आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में भी चिंता करने की जरूरत है। कार्यक्रम को कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी तथा आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने भी संबोधित किया। इस मौके पर आईसीएआर के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. तिलक राज शर्मा, सहायक महानिदेशक डॉ. संजीव गुप्ता, आईआईपीआर के निदेशक डॉ. एन.पी. सिंह एवं किसान, वैज्ञानिक व अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।