डीलरों से इनपुट खरीद में कमी पर जीएसटी भरने के लिये रियल्टी कंपनियों के पास 30 जून तक समय
रियल एस्टेट क्षेत्र को देनदारी की समयसीमा में विस्तार की उम्मीद
नई दिल्ली। एक अप्रैल 2019 से कम दर पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान करने का विकल्प चुनने वाली जो रियल एस्टेट कंपनियां कुल आपूर्ति का 80 प्रतिशत पंजीकृत डीलरों से नहीं खरीद पायी हैं, उनके पास खरीद में रह गयी कमी पर जीएसटी भरने के लिये 30 जून तक का समय है। जीएसटी परिषद ने एक अप्रैल 2019 से उन रियल एस्टेट कंपनियों को आवासीय इकाइयों के लिये पांच प्रतिशत और किफायती आवास के लिये एक प्रतिशत की दर से जीएसटी भरने का विकल्प दिया था, जो इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं लेना चाहती हैं। हालांकि, यह विकल्प चुनने वाली कंपनियों को पंजीकृत डीलरों से कम से कम 80 प्रतिशत इनपुट खरीदना अनिवार्य किया गया था। नियम के मुताबिक इस खरीद में जो भी कमी रह जायेगी, उसके ऊपर जीएसटी भरना होगा। इसके लिये रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा इनपुट या इनपुट सेवाओं के रूप में उपयोग की जाने वाली आपूर्ति पर 18 प्रतिशत और सीमेंट के लिये 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी भुगतान करना होगा।
राजस्व विभाग ने 24 जून को केंद्रीय कर के प्रधान मुख्य आयुक्तों को दिये निर्देश में कहा, कि 80 प्रतिशत की सीमा से कम खरीद होने की स्थिति में, प्रवर्तक या डेवलपर को इनपुट के मूल्य पर कर का भुगतान करना पड़ेगा। इस तरह की कमी वाले इनपुट सेवाओं और इस कर का भुगतान एक निर्धारित प्रपत्र के माध्यम से वित्त वर्ष के बाद तिमाही के अंत तक आम पोर्टल पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जायेगा। इस तरह वित्त वर्ष 2019-20 के लिये इस तरह की कमी पर कर का भुगतान 30 जून 2020 तक किया जाना है। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि एक और पांच प्रतिशत के निचले कर दायरे में आने वाले रियल एस्टेट डेवलपर्स पर कर देनदारियों का काफी दबाव है। उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का उपयोग किये बिना 30 जून तक नकद में इसका भुगतान करना होगा। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र अभी इस देनदारी की समयसीमा में विस्तार की उम्मीद कर रहा है, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के कारण उसके आय के स्रोत पहले ही बाधित चल रहे हैं।