नई दिल्ली। पिछली कुछ तिमाहियों में दबाव की स्थिति में रहने के बावजूद रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र अगले पांच साल में डेढ़ करोड़ नौकरियों प्रदान करेगा। संसद में सोमवार को पेश हुई पेश आर्थिक समीक्षा 2017-18 में यह बात कही गई है। समीक्षा के अनुसार यह अब भी कृषि के बाद देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। वर्ष 2013 में इस क्षेत्र ने चार करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया था। वर्ष 2017 में इसमें काम करने वाले लोगों की संख्या 5.2 करोड़ हो गई जिसके 2022 तक बढ़कर 6.7 करोड़ होने की संभावना है।
बढ़ते डूबे कर्ज की वजह से रीयल्टी क्षेत्र को कर्ज देने से कतरा रहे हैं बैंक
रियल एस्टेट क्षेत्र बैंकों की ओर से मिली कर्ज सहायता का हिस्सा 2016 में जोरदार गिरावट के साथ 17 प्रतिशत रह गई। संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि संपत्ति क्षेत्र में बढ़ती गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) तथा निचले मुनाफे की वजह से बैंक इस क्षेत्र को कर्ज देने से कतरा रहे हैं। 2013 में रियल्टी क्षेत्र को कर्ज में बैंकों का हिस्सा 68 प्रतिशत रहा था।
समीक्षा में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) के व्यक्तिगत आवास ऋण पोर्टफोलियो में बढ़ते एनपीए पर भी चिंता जताई गई है। समीक्षा कहती है, ‘‘बढ़ते एनपीए, रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए ऊंचा जोखिम प्रावधान तथा क्षेत्र के घटते मुनाफे की वजह से बैंक इस क्षेत्र को ऋण देने में कतरा रहे हैं।’’
इसके मद्देनजर संगठित रीयल एस्टेट क्षेत्र को ऋण में बैंकों का हिस्सा 2013 के 68 प्रतिशत की तुलना में 2016 में घटकर 17 प्रतिशत रह गया। समीक्षा में कहा गया है कि रीयल एस्टेट क्षेत्र को ऋण में निजी इक्विटी (पीई) फंडों तथा वित्तीय संस्थानों जैसे पेंशन फंडों और सॉवरेन संपदा कोषों का हिस्सा तेजी से बढ़ा है और इन्होंने बैंकों को पीछे छोड़ दिया है। पीई फंडों तथा वित्तीय संस्थानों का रीयल एस्टेट क्षेत्र को ऋण में हिस्सा 2013 के 14 प्रतिशत की तुलना में 2016 में 82 प्रतिशत पर पहुंच गया।
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