नई दिल्ली। घर खरीदारों के लिए पहले से तैयार मकान यानी रेडी-टू-मूवइन फ्लैट अब भी पसंदीदा विकल्प बने हुए हैं। हालांकि, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती से नई आवासीय परियोजनाओं में बन रहे मकानों की मांग में भी सुधार आया है। संपत्ति से संबंधित परामर्श देने वाली फर्म एनारॉक ने एक सर्वेक्षण में यह बात कही।
एनारॉक ने 2019 की पहली छमाही में उपभोक्ता रुख सर्वेक्षण में कहा कि रीयल एस्टेट कानून रेरा और जीएसटी की दरों में कमी से लोगों का नई संपत्तियों पर भरोसा वापस से जगाने में मदद मिली है।
फर्म ने सर्वेक्षण में पाया कि 70 प्रतिशत प्रतिभागी 80 लाख रुपए तक की संपत्ति खरीदना पसंद करते हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक कई घर खरीदारों के लिए पहले से तैयार घर अब भी पहली पसंद बने हुए हैं लेकिन नए घरों की मांग में भी सुधार हुआ है। 18 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों ने नई संपत्तियों में रुचि दिखाई है। इसकी तुलना में पिछले सर्वेक्षण में यह आंकड़ा महज पांच प्रतिशत था।
एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि हमारे हालिया सर्वेक्षण में इस बात की पुष्टि हुई है कि सुधार आधारित बाजार माहौल और सरकारी रियायतों से भारतीय रीयल एस्टेट को नया जीवन मिला है। बेहतर और यथार्थवादी रिटर्न की उम्मीद रखने वाले दीर्घकालिक निवेशक वापस लौट रहे हैं। हमारे 58 प्रतिशत प्रतिभागियों ने उपयोग के लिए संपत्ति खरीदी, जबकि 42 प्रतिशत ने निवेश के लिहाज से संपत्ति खरीदी। यह पिछले सर्वेक्षण की तुलना में 10 प्रतिशत तक अधिक है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने किफायती आवास पर जीएसटी दर को आठ प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत कर दिया है। वहीं किफायती आवास श्रेणी में नहीं आने वाले निर्माणाधीन फ्लैट पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर महज पांच प्रतिशत कर दिया है। ये दरें एक अप्रैल से लागू हो चुकी हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि रेरा कानून के प्रभावी कार्यान्वयन ने 2018 में दिल्ली-एनसीआर में 50 प्रतिशत से अधिक खरीदारों को प्रभावित किया। कोलकाता में करीब 58 प्रतिशत खरीदार गृह ऋण की कम दरों को लेकर रीयल एस्टेट बाजार में आकर्षित हुए।
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