नई दिल्ली। प्राइवेट कंपनियों द्वारा आधार का इस्तेमाल करने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद गुरुवार को दूरसंचार विभाग और यूआईडीएआई ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि सरकार मोबाइल उपभोक्ताओं पर केवाईसी विवरण का पुन: सत्यापन करने का दबाव नहीं डालेगी और यह फैसला पूरी तरह से स्वैच्छिक होगा।
यदि ग्राहक चाहे तो वह अपने आधार विवरण को अन्य किसी दस्तावेज से बदल सकते हैं। दूरसंचार विभाग और यूआईडीएआई ने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार केवाईसी के जरिये जारी हुए मोबाइल नंबर कनेक्शन को बंद करने का निर्देश नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आधार ई-केवाईसी के जरिये नई सिम जारी करने को प्रतिबंधित किया है।
दोनों सरकारी संस्थाओं ने अपने संयुक्त बयान में कहा है कि आधार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहीं भी आधार ई-केवाईसी के जरिये पूर्व में जारी किए गए मोबाइल नंबर को बंद करने की बात नहीं कही है। इसलिए यहां किसी को भी घबराने या डरने की जरूरत नहीं है।
ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आधार सत्यापन प्रक्रिया के जरिये मोबाइल सिम खरीदने वाले उपभोक्ताओं को दोबारा अपने केवाईसी के लिए दस्तावेज देने होंगे, नहीं तो उनका कनेक्शन बंद कर दिया जाएगा।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने और अपनी सेवाओं के लिए आधार आधारित सत्यापन बंद करने के लिए 15 अक्टूबर तक का समय दिया था। बयान में कहा गया है कि फैसले के मद्देनजर कोई भी उपभोक्ता अपने आधार ई-केवाईसी को नए केवाईसी से बदल सकता है, इसके लिए उसे सर्विस प्रदाता को ऑफिशियल वैलिड डॉक्यूमेंट्स उपलब्ध कराने के जरिये अपने आधार को डीलिंक करने का आवेदन करना होगा।
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