नई दिल्ली। अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्यूनिकेशन (RCOM) ने शुक्रवार को भारत में अपना टॉवर और ऑप्टिकल फाइबर बिजनेस प्राइवेट इक्विटी फर्म टीपीजी और टिलमैन ग्लोबल को बेचने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सौदे की अनुमानित कीमत 30,000 करोड़ रुपए बताई जा रही है। सौदे से प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग आरकॉम अपना कर्ज घटाने में करेगी। कंपनी पर तकरीबन 40,000 करोड़ रुपए का ऋण है। कंपनी ने बयान जारी कर कहा है कि टिलमैन और टीपीजी एशिया भारत में आरकॉम का टॉवर और ऑप्टिकल फाइबर बिजनेस का अधिग्रहण करेंगे।
कंपनी ने इस सौदे की राशि का खुलासा नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक आरकॉम के मोबाइल टॉवर्स की कीमत लगभग 22,000 करोड़ रुपए और ऑप्टीकल फाइबर समेत अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की कीमत 7 से 8 हजार करोड़ रुपए है। भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में यह अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण माना जा रहा है। कंपनी का मानना है कि इस सौदे से उसे इंटररेस्ट कॉस्ट 75 फीसदी कम कर 600 करोड़ रुपए प्रति वर्ष करने में मदद मिलेगी। आरकॉम ने बताया कि वह अपने टेलीकम्यूनिकेशन बिजनेस के लिए लांग टर्म एग्रीमेंट के तहत टॉवर की प्रमुख किरायेदार बनी रहेगी।
टिलमैन और टीपीजी आरकॉम के एक्सटेंसिव नेशनवाइड इंटर-सिटी और इंट्रा-सिटी ऑप्टिक फाइबर बिजनेस का भी अलग और स्वतंत्र सौदे के तहत अधिग्रहण करेंगे। रिलायंस इंफ्राटेल लिमिटेड (आरआईटीएल) अपनी पूरी हिस्सेदारी टिलमैन और टीपीजी की पूर्ण स्वामित्व वाली एसपीवी को ट्रांसफर करेगी। आरआईटीएल में आरकॉम की 96 फीसदी हिस्सेदारी है और इसके देशभर में 43,500 मोबाइल टॉवर हैं। शेष चार फीसदी हिस्सेदारी इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के पास है।
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