नई दिल्ली। देश के टेलीकॉम सेक्टर में विलय के अब तक के सबसे बड़े सौदे में रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और एयरसेल ने अपने वायरलेस कारोबार को मिला कर एक नई कंपनी बनाने की घोषणा की। नई कंपनी की सम्पत्ति 65,000 करोड़ रुपए की होगी। अनिल अंबानी के नेतृत्ववाले एडीएजी समूह की आरकॉम और मलेशिया की मैक्सिस कम्युनिकेशंस बेर्हाड (एमसीबी) की इस साझा इकाई में दोनों भागीदारों की आधे आधे की हिस्सेदारी होगी। दोनों कंपनियों की निदेशक मंडल और समितियों में समान भागीदारी होगी।
दोनों कंपनियों ने कहा कि इस सौदे से आरकॉम का कर्ज 20,000 करोड़ रुपए (तीन अरब डॉलर) कम होगा जबकि एयरसेल के ऋण में 4,000 करोड़ रुपए (60 करोड़ डॉलर) की कमी आएगी। इस विलय से ग्राहक और आय के आधार पर देश की चौथी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी अस्तित्व में आएगी। नई इकाई स्पेक्ट्रम के मामले में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी होगी। कंपनी के पास 850, 900, 1800 और 2100 मेगाहट्र्ज बैंड में कुल 448 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम होगा। इकाई के पास 65,000 करोड़ रुपए (9.7 अरब डॉलर) की संपत्ति होगी और नेटवर्थ 35,000 करोड़ रुपए (5.2 अरब डॉलर) होगा।
रिलायंस एडीएजी समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने कहा, एमसीबी के साथ मिलकर हमने भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में एकीकरण में अगुवाई की है और इससे हम काफी खुश हैं। पहले, आरकॉम ने एसएसटीएल (सिस्तेमा, एमटीएस) के वायरलेस कारोबार का अधिग्रहण और अब एयरसेल के विलय से एमसीबी के साथ हमारा 50:50 के अनुपात संयुक्त उद्यम बना है। उन्होंने कहा कि इस संयुक्त उद्यम से व्यापक स्पेक्ट्रम पोर्टफोलियो, अधिक आय तथा लागत में तालमेल से आरकाम तथा एमसीबी दोनों के शेयरधारकों के लिये उल्लेखनीय दीर्घकालीन मूल्य प्राप्त होगा।
एमसीबी ने कहा, इस सौदे से एमसीबी (मैक्सिस कम्यूनिकेशन्स) की भारत के प्रति प्रतिबद्धता की बात फिर से साबित होती है। एयरसेल का 2006 में अधिग्रहण के बाद से एमसीबी ने 35,000 करोड़ रुपए (5.2 अरब डॉलर) का निवेश एयरसेल में किया है। यह भारत में न केवल दूरसंचार क्षेत्र में बल्कि सभी क्षेत्रों में किए गए बड़े निवेशों में से एक है।
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