रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू, ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने बुधवार को अपनी दो दिवसीय बैठक शुरू की। ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है।
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने बुधवार को अपनी दो दिवसीय बैठक शुरू की। इस बीच विशेषज्ञों का अनुमान है कि केंद्रीय बैंक 2017-18 की इस पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर को वर्तमान स्तर पर बनाए रख सकता है क्यों कि मुद्रास्फीति का दबाव है।
विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका में ब्याज दर में वृद्धि से यह संकेत साफ है कि रिजर्व बैंक की मानक ब्याज दर में कमी नहीं होने जा रही है। दूसरी ओर भविष्य में इसमें वृद्धि हो सकती है जो घरेलू एवं बाह्य कारकों पर निर्भर करता है। हालांकि, उनका मानना है कि रिजर्व बैंक आठ नवंबर को घोषित नोटबंदी के मद्देनजर बैंकों के पास आई भारी नकदी को सोखने के लिए स्थाई जमा सुविधा (एसडीएफ) समेत कुछ उपाय कर सकता है। विभिन्न अनुमानों के अनुसार बैंकों में नोटबंदी के बाद 14 लाख करोड़ शेयर आए हैं।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरूआ ने कहा कि रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को यथावत रख सकता है। उन्होंने कहा, हमारे हिसाब से केंद्रीय बैंक का तटस्थ नीति रूख का संकेत देने के लिए रिजर्व बैंक अतिरिक्त नकदी सोखने के उपायों पर जोर होगा। इससे उसे मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के जरिए अधिक सुविधा होगी।
यह छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की चौथी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति समीक्षा है। मौद्रिक नीति समिति में सरकार द्वारा नामित सदस्यों में चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया शामिल हैं। वहीं रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर, मौद्रिक नीति प्रभारी डिप्टी गवर्नर विरल ए आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक इसके सदस्य हैं।
कोटक महिंद्रा बैंक के उपाध्यक्ष उदय कोटक ने कहा, मुझे लगता है कि रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को बरकरार रखेगा। निजी क्षेत्र के अन्य बैंकों के प्रमुखों का मानना है कि केंद्रीय बैंक छह अप्रैल को नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं करेगा। आठ फरवरी को पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा था।
थोक मुद्रास्फीति फरवरी में 39 महीने के उच्च स्तर 6.55 प्रतिशत रही जबकि खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 3.65 प्रतिशत पहुंच गई। खाद्य एवं ईंधन के दाम बढ़ने से महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के प्रबंध निदेशक नरेश टक्कर ने कहा, हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2017 के लक्ष्य से कम रहने की संभावना है, लेकिन हम अप्रैल 2017 में आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कटौती की उम्मीद नहीं कर रहे। मौद्रिक नीति समिति का जोर 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य पर है।
सिंगापुर के बैंक डीबीएस के एक विश्लेषक ने कहा, रिजर्व बैंक आश्चर्यजनक रूप से तटस्थ रूख की ओर बढ़ा है। अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं होगा।