नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस साल नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखेगा, हालांकि, 2018 में दरों में बढ़ोतरी का जोखिम है। गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी के अनुसार मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के 2 से 6 प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में रहेगी, लेकिन अभी भारत को टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत की मुद्रास्फीति को हासिल करने में समय लगेगा।
गोल्डमैन सैक्स के शोध नोट में कहा है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों पर नोटबंदी के असर से अगले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति बढ़ेगी और तेल की कीमतें भी ऊपर जाएंगी। ऐसे में जुलाई-सितंबर, 2017 के दौरान मुख्य मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत के आसपास स्थिर होगी। नोट में कहा गया है कि मूल्यवृद्धि के लिए प्रमुख जोखिम कमजोर मानसून रहेगा, जिससे मुद्रास्फीति को लेकर संभावनाएं बढ़ेंगी।
गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर बनाए रखने के लिए कृषि उत्पादकता बढ़ाने और मौसम से संबंधित कारकों पर निर्भरता को कम करने के लिए संरचनात्मक परिवर्तनों की आवश्यकता है। गत 8 फरवरी को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को 6.25 प्रतिशत पर बिना किसी बदलाव के स्थिर रखा था। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक 5-6 अप्रैल को होगी।
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