नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश से बाहर धन भेजने की उदारीकृत प्रेषण योजना (एलआरएस) की जानकारी देने के नियमों को और कड़ा कर दिया है। इस योजना के तहत कोई व्यक्ति एक वर्ष में ढाई लाख डॉलर तक विदेश भेज सकता है। ये कदम देश से बाहर गैरकानूनी ढंग से धन बाहर भेजने पर रोक लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
मौजूदा समय में प्रेषक द्वारा की गई घोषणा के आधार पर बैंक योजना के तहत लेनदेन की अनुमति देते हैं। इस सीमा के पालन की निगरानी केवल प्रेषक द्वारा की गई घोषणा तक ही सीमित है। इसकी स्वतंत्र रूप से कोई पुष्टि नहीं की जाती। इसके बारे में सूचना का कोई विश्वसनीय स्रोत भी नहीं होता है।
रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा कि धन भेजने पर निगरानी को बेहतर करने और एलआरएस सीमाओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय किया गया कि इस योजना के तहत धन भेजने वालों के लेन-देनों की जानकारी संबंधित प्राधिकृत डीलर बैंकों से रोजाना मंगाने की व्यवस्था को अमल में लाया जाए।
रिजर्व बैंक ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि यह जानकारी इस तरह के लेन-देन करने वाले अन्य बैंकों को भी सुलभ कराई जाए। आरबीआई के आदेश के बाद अब बैंकों को रोजाना इस तरह के लेन-देन की सूचना अपलोड करनी होगी
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