मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन से मुद्रास्फीति 1 से 1.5 फीसदी तक बढ़ेगी लेकिन इससे चालू वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में करीब 0.4 फीसदी की वृद्धि होगी। रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2016-17 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.0 फीसदी तक सीमित रखने के लक्ष्य को लेकर आश्वस्त है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह मानते हुए कि सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को वित्त वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही में लागू करेगी, ऐसे में सीपीआई मुद्रास्फीति 2016-17 के बेसलाइन की तुलना में औसतन 1.0 से 1.5 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। इसका प्रभाव 24 महीने तक रह सकता है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वेतन वृद्धि से चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में करीब 0.4 फीसदी की मजबूती आ सकती है।
ब्याज दरों में कटौती सराहनीय
आरबीआई की पहल का स्वागत करते हुए वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि दरों में कटौती अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा प्रोत्साहन है। उन्होंने कहा, आरबीआई के सहयोग से हमें राजकोषीय और मौद्रिक दोनों पहलों का विस्तार करना होगा, जिसकी तैयारी चल रही है। हम अर्थव्यवस्था को आवश्यक प्रोत्साहन उपलब्ध कराएंगे। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने उम्मीद जताई कि बैंक आरबीआई पहल के बाद ब्याज दर में और कटौती करेंगे। दास ने कहा, कुछ बैंकों ने ऋण की सीमांत लागत को ध्यान में रखकर अपनी ब्याज दर का पहले ही समायोजन कर दिया है और इस पहल के मद्देजर उसी अनुपात में कटौती की है।
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