नई दिल्ली। विश्लेषकों का मानना है कि बढ़ती महंगाई दर को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति अगली समीक्षा बैठक में नीतिगत दर को शायद ही कम करे। खाद्य और ईंधन की कीमतें बढने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर 7 महीने के उच्च स्तर पर चल रही है। खाद्य वस्तुओं, खासकर सब्जियों के भाव में तेजी से खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 3.58 प्रतिशत पर पहुंच गई जो सात महीने का उच्च स्तर है।
ब्याज दर तय करने में खुदरा मुद्रास्फीति पर खास ध्यान दिया जाता है। औद्योगिक उत्पादन में नरमी बीच जून से खुदरा मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है। वित्तीय सेवा कंपनी मोर्गन स्टेनली ने अपनी एक शोध रिपोर्ट में कहा है कि महंगाई की मुख्य दर में तेजी है और मुद्रास्फीति के दीर्घ कालिक रुझान के स्थिर बने रहने से हमें नहीं लगता है कि RBI दिंसबर में होने वाली मौद्रिक समीक्षा में दरों में कमी करेगा।
जापान की वित्तीय सेवा फर्म नोमुरा ने मुद्रास्फीति में वृद्धि के लिए सरकारी कर्मचारियों को मकान भत्ता और GST के प्रभावों को जिम्मेदार ठहराते हुए RBI दिसंबर में होने वाली समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं होने का अनुमान जताया है।
हालांकि, बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच का कहना है कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि 6 दिसंबर को RBI मौद्रिक नीति समीति की बैठक में अक्टूबर-मार्च अवधि में औद्योगिकी गतिविधियों में सुधार के लिए नीतिगत दरों में कटौटी कर सकता है।
उसका यह भी कहना है कि विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के साथ-साथ बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के कारण बैंक के पास कर्ज देने को पर्याप्त मात्रा में नकदी होगी। ऐसे में दरों में कटौती करने का समय आ गया है। उल्लेखनीय है कि RBI ने 4 अक्टूबर को मौद्रिक समीक्षा बैठक में दरों को यथावत रखा था।
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