RBI ने दी खुशखबरी, विदेशी मुद्रा भंडार छह महीने में 32.29 अरब डॉलर बढ़ा
विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी सितंबर 2020 के लगभग 6.69 प्रतिशत से घटकर 31 मार्च, 2021 में 5.87 प्रतिशत रह गई।
नई दिल्ली। देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह महीने में 31 मार्च, 2021 तक बढ़कर 576.98 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल सितंबर के अंत में 544.69 अरब डॉलर था। कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा यानी विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति (एफसीए), मार्च 2021 के अंत में बढ़कर 536.693 अरब डॉलर हो गई, जो इससे पहले सितंबर, 2020 में 502.162 अरब डॉलर थी। भुगतान संतुलन के आधार पर (मूल्यांकन परिवर्तन को छोड़कर), विदेशी मुद्रा भंडार में, अप्रैल-दिसंबर 2020 के दौरान 83.9 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह वृद्धि 40.7 अरब डॉलर थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल्य के संदर्भ में, कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी सितंबर 2020 के लगभग 6.69 प्रतिशत से घटकर 31 मार्च, 2021 में 5.87 प्रतिशत रह गई। सोने का भंडार मार्च 2021 के अंत में 33.88 अरब डॉलर था जो सितंबर 2020 में 36.429 अरब डॉलर था।
35000 करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद 20 मई को
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (जी-सैप 1.0) के तहत 20 मई, 2021 को दूसरी किस्त के तहत 35,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खुले बाजार से खरीद की जाएगी। बांड प्रतिफल को स्थिर और व्यवस्थित रखने के प्रयास के तहत यह कदम उठाया जा रहा है। पिछले महीने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि आरबीआई जी-सैप 1.0 के तहत वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में एक लाख करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियों की खुले बाजार से खरीद गतिविधियां आयोजित करेगा। इस प्रकार की 25,000 करोड़ रुपये की पहली नीलामी 15 अप्रैल को हुई थी।
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि वह सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (जी-सैप 1.0) के तहत 20 मई, 2021 को 35,000 करोड़ की सरकारी प्रतिभूतियों की खुले बाजार में खरीद की दूसरी श्रृंखला आयोजित करेगा। दास ने उस समय कहा था कि इस कार्यक्रम के तहत आरबीआई संतोषजनक नकदी स्थिति के बीच स्थिर और व्यवस्थित बांड प्रतिफल के लिए सरकारी प्रतिभूतियों के खुले बाजार में खरीदारी को लेकर एक विशिष्ट राशि के लिए प्रतिबद्ध होगा। जी-सैप गतिविधियां आरबीआई की नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ), खुले बाजार की गतिविधियां (ओएमओ) और कर्ज की लागत कम रखने के लिए बांड की खरीद-बिक्री जैसी सामान्य गतिविधियों के साथ चलेगी।
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