नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI ) ने कहा है कि बैंक ग्राहकों द्वारा ATM से बिना किसी शुल्क के पैसा निकालने की सीमा एक नीतिगत फैसला है जो जनहित में लिया गया है। केंद्रीय बैंक ने दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी तथा न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ को सूचित किया कि नकदी के इस्तेमाल को कम करने तथा देश में इलेक्ट्रानिक लेन-देन को प्रोत्साहन देने के लिए ATM सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
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जनहित याचिका पर चल रही थी सुनवाई
- अधिवक्ता स्वाती अग्रवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान RBI ने यह बात कही।
- याचिका में बैंक ग्राहकों को अपने खुद के बैंक के ATM से असीमित निकासी की अनुमति का निर्देश देने की अपील की गई है।
- RBI ने जनहित याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह टिकने योग्य नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए।
- केंद्रीय बैंक ने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया है।
रिजर्व बैंक के वकील ने कहा
पीआईएल का इस्तेमाल वित्तीय और आर्थिक फैसलों को चुनौती देने के लिए हथियार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। ये फैसले RBI ने अपने प्रशासनिक और संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल कर जनहित में लिए हैं।
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मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी
- पीठ ने RBI से सुनवाई की अगली तारीख 5 दिसंबर तक हलफनामा देने को कहा।
- RBI के नए दिशानिर्देशों के अनुसार छह महानगरों-दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद तथा बेंगलुर के बैंक ग्राहकों को एक महीने में बिना किसी शुल्क से ATM से सिर्फ 5 निकासी की अनुमति है।
- इस सीमा से अधिक प्रत्येक बार ग्राहक को 20 रपये का शुल्क देना होता है।
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