नई दिल्ली। देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडलों का कहना है कि रिजर्व बैंक के द्वारा मौद्रिक नीति में उदार रुख बनाये रखने का फैसला उद्योग एवं व्यापार का भरोसा बढ़ाने वाला है। उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि केन्द्रीय बैंक के इस फैसले को उसके द्वारा घोषित कुछ अन्य उपायों से काफी अहम समर्थन प्राप्त होगा। रिजर्व बैंक ने बुधवार को घोषित चालू वित्त वर्ष की पहले मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया और उसे चार प्रतिशत पर पूर्ववत बनाये रखा है। इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक ने अपने रुख को उदार बनाये रखा है। कोरोना वायरस महामारी के एक बार फिर से सिर उठाने के कारण आर्थिक वृद्धि के समक्ष नया खतरा पैदा होता दिख रहा है।
एसोचैम ने कहा है, ‘‘विदेशी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) प्राप्ति को रखने के मामले में दी गई राहत से वैश्विक बाजार से संसाधन जुटाने वाली कंपनियों को लचीलापन मिलेगा।’’ उद्योग मंडल ने कहा है कि रिजर्व बैंक ने कोविड- 19 महामारी के प्रभाव को कम करने के लिये आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन साधने के साथ ही मौद्रिक नीति समिति का जब तक जरूरी लगे उदार रुख बनाये रखने का फैसला व्यापार एवं उद्योग जगत को फिर से भरोसा देने वाला है। उद्योग मंडल फिक्की ने भी कहा है कि ऊंची मुद्रास्फीति की चिंता को देखते हुये रेपो दर के मामले में यथास्थिति बनाये रखने की पहले से उम्मीद थी लेकिन केन्द्रीय बैंक द्वारा उदार रुख बनाये रखने के फैसला उद्योग जगत के बीच भरोसा बढ़ाने वाला है। फिक्की ने कहा है कि, ‘‘लगातार जारी अनिश्चितता के बीच अर्थव्यवस्था में नकदी की बेहतर स्थिति को बनाये रखने के रिजर्व बैंक की प्रतिबद्धता का हम स्वागत करते हैं।’’
रिजर्व बैंक ने आज लॉकडाउन के कारण विदेशी बाजारों से लिये गये वाणिज्यिक कर्ज (ईसीबी) का उपयोग नहीं करने वाली कंपनियों को राहत दी है। केंद्रीय बैंक ने बुधवार को कहा कि बिना उपयोग वाली एक मार्च, 2020 से पहले ईसीबी के जरिये जुटायी गयी राशि देश के बैंकों में मियादी जमा के रूप में एक मार्च, 2022 तक रखी जा सकती है। ईसीबी नियम के तहत कर्जदारों को भारत में मियादी जमा के रूप में राशि अधिकतम 12 महीने के लिये रखने की अनुमति है।
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