नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के अनुमान को 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा और दुनियाभर में सेमी कंडक्टर की कमी, कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि और विदेशी वित्तीय बाजार में संभावित उतार-चढ़ाव को वृद्धि के लिए खतरा बताया।
मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अगस्त-सितंबर में कुल मांग में सुधार हुआ, और यह रेलवे माल यातायात, बंदरगाह पर माल, सीमेंट उत्पादन, बिजली की मांग, ई-वे बिल, जीएसटी और टोल संग्रह में दिखता है। उन्होंने कहा, "कोविड संक्रमण की कमी, उपभोक्ता विश्वास में सुधार के साथ निजी खपत को बढ़ाने में मदद मिल रही है।" दास ने कहा कि मांग में वृद्धि और त्योहारी सीजन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में शहरी मांग को और अधिक बढ़ावा मिलना चाहिए। साथ ही, पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार 2021-22 में कृषि क्षेत्र की निरंतर मजबूती और खरीफ खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन से ग्रामीण मांग को गति मिलने की उम्मीद है। दास ने यह भी कहा कि जलाशयों के स्तर में सुधार और रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की जल्द घोषणा से रबी फसलों के उत्पादन की संभावनाएं बढ़ी हैं।
सरकारी खपत से कुल मांग को मिल रही मदद में भी तेजी आ रही है। उन्होंने कहा कि कुल मांग को निर्यात से भी काफी मदद मिली है। निर्यात सितंबर, 2021 में लगातार सातवें महीने 30 अरब डॉलर से अधिक रहा, जो मजबूत वैश्विक मांग और नीति संबंधी समर्थन को दर्शाता है। इसके अलावा, सेवा क्षेत्र में सुधार भी जोर पकड़ रहा है। दास ने 2021-22 के लिए वास्तविक जीडीपी की वृद्धि के अनुमान को 9.5 प्रति पर बरकरार रखते हुए कहा, "लाभ के मार्जिन पर उत्पादन की लागत में वृद्धि, संभावित वैश्विक वित्तीय स्थिति, कमोडिटी बाजारों में अस्थिरता तथा कोविड-19 संक्रमण में बढ़ोतरी आदि कारक हालांकि वृद्धि के अनुमान के लिए जोखिम हो सकते हैं।"
Latest Business News