नई दिल्ली। मई में महंगाई दर के पांच माह के निचले स्तर 2.17 फीसदी के स्तर पर आ जाने के चलते भारतीय उद्योग जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से ब्याज दरों में कटौती की मांग की है। उनका कहना है कि रोजगार सृजन के लिए निवेश को बढ़ाने की जरूरत है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में कीमतों में कमी आएगी। उद्योगों ने सरकार से यह भी कहा है कि वह निवेश, पूंजी उपयोग और औद्योगिक उत्पाद में वृद्धि को प्राथमिकता देते हुए अनुकूल वातावरण तैयार करे।
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उद्योग मंडल FICCI के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा कि,
मेरा मानना है कि ग्रोथ को मिलने वाला समर्थन मजबूत हो रहा है और हमें उम्मीद है कि RBI अपनी मौद्रिक नीति पर दोबारा गौर करेगा और इसे (महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए) नए स्वरूप में देखेगा।
इसी प्रकार एसोचैम को उम्मीद है कि थोक मूल्य सूचकांक (WPI) भी नीचे आएगी क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक अस्थिरता, बढ़ते संरक्षणवाद और चीनी अर्थव्यवस्था में आई मंदी से प्रभाव पड़ेगा और इससे भारत की बाहरी मांग प्रभावित होगी।
एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जजोडिया ने कहा कि,
निजी निवेश को अभी भी कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि कॉरपोरेट ऋण का बढ़ना और वित्तीय क्षेत्र का दबाव में रहना, जहां फंसा कर्ज लगातार बढ़ रहा है।
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ICRA की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जून 2017 में WPI महंगाई में रिकॉर्ड दो प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है जिसके पीछे अहम कारण खाद्य और जिंसों की कीमत में कमी आना है।
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