मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ अंतराष्ट्रीय व्यवस्था में सहयोग न करने वाले देशों और क्षेत्रों में भारतीय इकाइयों द्वारा निवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इसके तहत भारतीय कंपनियां या इकाइयां उन देशों व क्षेत्रों की किसी इकाई में निवेश नहीं कर सकेंगी, जिन्हें इस मामले में विभिन्न देशों की सरकारों के एक निकाय फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने असहयोगी देश व क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया हुआ है।
- उल्लेखनीय है कि एफएटीएफ का गठन 1989 में किया गया था। इसमें इस समय दो क्षेत्रीय संगठन व भारत, ब्रिटेन व चीन सहित 35 सदस्य देश शामिल हैं।
- केंद्रीय बैंक ने विदेशों में निवेश पर यह प्रतिबंध इसलिए लगाया है ताकि भारत के विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों को एफएटीएफ के उद्देश्यों के अनुरूप बनाया जा सके।
- फिलहाल भारतीय इकाइयों पर ऐसे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के बारे में कोई प्रतिबंध नहीं था।
- एफएटीएफ की स्थापना का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता से संबंधित खतरों से निपटने के लिए प्रभावी कानूनी, नियामकीय और संचालक कदम उठाना है।
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