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भारत में जल्‍द शुरू होगी इंटरेस्‍ट फ्री बैंकिंग, RBI ने इस्‍लामिक बैंक के लिए सरकार को सौंपा प्रस्‍ताव

RBI सरकार के साथ मिलकर इंटरेस्‍ट फ्री बैंकिंग सर्विस शुरू करने पर काम कर रहा है। रिजर्व बैंक इस्‍लामिक बैंक खोलने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है।

भारत में जल्‍द शुरू होगी इंटरेस्‍ट फ्री बैंकिंग, RBI ने इस्‍लामिक बैंक के लिए सरकार को सौंपा प्रस्‍ताव- India TV Paisa भारत में जल्‍द शुरू होगी इंटरेस्‍ट फ्री बैंकिंग, RBI ने इस्‍लामिक बैंक के लिए सरकार को सौंपा प्रस्‍ताव

नई दिल्‍ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सरकार के साथ मिलकर इंटरेस्‍ट फ्री बैंकिंग सर्विस शुरू करने पर काम कर रहा है। धार्मिक कारणों से वित्‍तीय सेवाओं से अछूते लोगों को बैंकिंग सेवा के दायरे में लाने के उद्देश्‍य से रिजर्व बैंक इस्‍लामिक बैंक खोलने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है।

भारतीय समाज का एक तबका है, जो धार्मिक कारणों से वित्तीय तंत्र से अलग है। धार्मिक वजह हैं, जिनकी वजह से यह तबका बैंकों के ब्याज सुविधा वाले उत्पादों से इसका लाभ नहीं उठाता है। रिजर्व बैंक ने 2015-16 की अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है, बैंकिंग तंत्र से अलग रह गए तबके को इसमें शामिल करने के लिए सरकार के साथ विचार-विमर्श कर देश में ब्याज-मुक्त बैंकिंग उत्पाद पेश करने के तौर तरीकों को तलाशने का प्रस्ताव किया गया है।

इस्लामिक यानी शरिया बैंकिंग एक वित्तीय प्रणाली है, जो कि ब्याज की कमाई नहीं लेने के सिद्धांत पर आधारित है। इस्लाम में ब्याज की कमाई लेने पर प्रतिबंध है। इस साल की शुरुआत में जेद्दाह स्थित इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक (आईडीबी) ने अपनी पहली शाखा अहमदाबाद में खोलने की घोषणा की थी।+

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आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इस्‍लामिक बैंक खोलने का प्रस्‍ताव किया है। पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने पहले कहा था कि इस्‍लामिक फाइनेंस को नॉन-बैंक चैनल जैसे इन्‍वेस्‍टमेंट फंड या कोऑपरेटिव के जरिये उपलब्‍ध कराया जा सकता है। इसका मतलब है कि भारत में 18 करोड़ मुस्लिमों की, जो देश में दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है, इस्‍लामिक बैंकिंग तक पहुंच नहीं है क्‍योंकि भारत में बैंकिंग सर्विस इंटरेस्‍ट पर आधारित है और इस्‍लाम में ब्‍याज लेना या देना अपराध है।

आरबीआई ने कहा कि वह सरकार के साथ इंटरेस्‍ट फ्री बैंकिंग पर विचार-विमश कर रहा है। भारत में इस्‍लामिक बैंक के लिए एक अलग से कानून या संसद द्वारा मौजूदा कानून में संशोधन करने की जरूरत होगी और ऐसा केवल सरकार के सक्रिय प्रयासों से ही संभव हो सकता है। 2015 में आरबीआई की एक कमेटी ने विशेष इंटरेस्‍ट फ्री विंडो खोलने की सिफारिश की थी।

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