बैंकों के डूबे कर्ज की सबसे बड़ी वजह का RBI ने लगाया पता, कहा मर्चेंट बैंकर ठीक ढंग से नहीं करते जांच-परख
उल्लेखनीय है कि सितंबर तिमाही तक NPA का आकार 10,000 अरब रुपये यानी बैंक के कुल कर्ज का 10% से ऊपर निकल गया।
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (RBI) ने परियोजनाओं के लिये कर्ज देते समय उनकी ठीक ढंग से जांच-परख नहीं करने के लिये मर्चेंट बैंकरों के बीच हितों के टकराव को अहम वजह बताया है जिसकी वजह से बैंकों का गैर-निष्पादित आस्तियां (NAP) का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। उल्लेखनीय है कि सितंबर तिमाही तक NPA का आकार 10,000 अरब रुपये यानी बैंक के कुल कर्ज का 10% से ऊपर निकल गया।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए अपनी वित्तीय स्थिरता रपट (FSR) में रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘‘बैंकों में कर्ज नुकसान का जो संकट खड़ा हुआ है उससे दीर्घावधि परियोजनाओं के लिये कर्ज देते समय उनकी जांच परख में खामियां उजागर हुई हैं। ’’ कल शाम जारी इस रपट के अनुसार इस तरह की परियोजनाओं में बैंकों के समूह ने ऋण देने की मंजूरी पेशेवर मर्चेंट बैंकरों से सलाह-मशविरा करके दी है। इसमें पहले से ही हितों का टकराव शामिल है क्योंकि आकलन करने वाले मर्चेंट बैंकरों को ऋण लेने वाले पहले से भारी भुगतान कर देते हैं।
यह बात ध्यान दिए जाने योग्य है कि ऋण बाजार में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का दबदबा है। इसमें भी भारतीय स्टेट बैंक की स्थिति सबसे मजबूत है और वह इस तरह के ऋणों की मंजूरी के लिए अपनी मर्चेंट बैंकिंग इकाई एसबीआई कैप्स का इस्तेमाल करती है। वह इसकी सलाह ऋण पुनर्गठन के लिए भी लेती है। उल्लेखनीय है कि बैंकों का सकल NPA अनुपात में 19.3% वृद्धि हुई है और इसमें भी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी कारपोरेट क्षेत्र की है। इसमें भी धातु, बिजली, इंजीनियरिंग, बुनियादी ढांचा और निर्माण क्षेत्र प्रमुख है। इन सभी में परियोजना मूल्यांकन शामिल रहा है। बेसिक धातुओं और धातु उत्पादों के क्षेत्र का सकल NPA में 44.5 प्रतिशत हिस्सा रहा है जबकि निर्माण क्षेत्र का 26.7 प्रतिशत, ढांचागत क्षेत्र का 19.6 प्रतिशत और इंजीनियरिंग क्षेत्र का सकल NPA बढ़कर 31 प्रतिशत तक पहुंच गया।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि मार्च तिमाही तक बैंकों का सकल NPA 10.8 प्रतिशत तक पहुंच सकता है और सितंबर 2018 तक यह 11.1 प्रतिशत हो सकता है। सकल NPA में इस वृद्धि के लिये निजी क्षेत्र के बैंकों पर भी दोष मढा गया है जो कि अपने फंसे कर्ज के आंकड़े को कम बताते रहे हैं। इस साल सितंबर तिमाही में सकल एनपीए छह माह पहले के 9.6 प्रतिशत से बढ़कर 10.2 प्रतिशत पर पहुंच गया।