मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न मोबाइल वॉलेट्स के बीच पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा के लिए मंगलवार को एक नई गाइडलाइंस जारी की है।
2017 में रखे गए रोडमैप के मुताबिक, सभी केवाईसी वाले प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) की इंटरऑपरेबिलिटी को तीन चरणों में सक्षम बनाना था- यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये वॉलेट के रूप में जारी पीपीआई की इंटरऑपरेबिलिटी, यूपीआई के जरिये वॉलेट और बैंक एकाउंट के बीच इंटरऑपरेबिलिटी और कार्ड नेटवर्क के जरिये कार्ड के रूप में जारी पीपीआई के लिए इंटरऑपरेबिलिटी।
आरबीआई ने सभी चरणों के लिए इंटरऑपरेबिलिटी के बेहतर अनुपालन के लिए एक संयुक्त गाइडलाइंस को जारी किया है। इंटरऑपरेबिलिटी एक टेक्नीकल क्षमता है जो एक पेमेंट सिस्टम को दूसरे पेमेंट सिस्टम से जोड़ने में सक्षम बनाता है।
इंटरऑपरेबिलिटी पीपीआई यूजर्स, सिस्टम प्रोवाइडर्स और सिस्टम भागीदारों को कई सिस्टम में बिना भागीदारी किए सभी सिस्टम में भुगतान लेनदेन को सेटल करने की अनुमति देती है। देश में मोबीक्विक, ऑक्सीजन, पेटीएम, इट्जकैश और ओला मनी कुछ लोकप्रिय मोबाइल वॉलेट हैं।
वर्तमान में एक मोबाइल वॉलेट से ग्राहक दूसरी कंपनी द्वारा संचालित वॉलेट में न तो पैसे भेज सकता है और न ही उससे हासिल कर सकता है। फिनटेक कन्वर्जेंस काउंसिल के चेयरमैन नवीन सूर्या ने आरबीआई के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह नॉन बैंक कंपनियों के लिए बहुत ही सकारात्मक कदम है।
पेटीएम के सीओओ किरण वासीरेड्डी ने कहा कि भारत में पेमेंट ईकोसिस्टम के लिए यह एक बहुत बड़ा कदम है। इस नई गाइडलाइंस के साथ पीपीआई ईकोसिस्टम अब और भी मजबूत बनेगा।
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