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RBI Monetary Policy: आरबीआई ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, 5.15 प्रतिशत पर स्थिर

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस बार भी रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है और इसे 5.15 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।

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मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस बार भी रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है और इसे 5.15 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। आरबीआई ने दिसंबर की बैठक में भी ब्याज दरें स्थिर रखी थीं। इससे पहले लगातार 5 बार कटौती करते हुए रेपो रेट में 1.35 प्रतिशत कमी की थी। चालू वित्त वर्ष 2019-20 की 6वीं द्विमासिक मौद्रिक नीति का एलान करते हुए ​आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 5.15 फीसदी पर बरकरार रखा है। रिवर्स रेपो रेट भी 4.90 फीसदी पर बरकरार है। रिजर्व बैंक ने CRR 4 फीसदी और SLR 18.5 फीसदी पर बनाए रखा है। 

आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में गुरुवार को रेपो रेट को 5.15 फीसदी बरकरार रखने का फैसला लिया गया। वहीं रिवर्स रेपो दर को भी 4.90 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया है। आरबीआई का मानना है कि अगले वित्त वर्ष में महंगाई दर में नरमी रहने से एमपीसी को नीतिगत फैसले में लेने में सहूलियत होगी। हालांकि, राजकोषीय घाटा की बात करें तो आम बजट 2020-2021 में निर्धारित लक्ष्य के पार 3.5 फीसदी राजकोषीय घाटा रहने की उम्मीद जताई गई है जबकि चालू वित वर्ष में 3.8 फीसदी रहने का अनुमान है। इसका भी असर एमपीसी के फैसले पर पड़ा है।

गौरतलब है कि इस समय आर्थिक वृद्धि में नरमी बरकार है और मुद्रास्फीति बढ़ रही है। वहीं, जीडीपी अपने 6 साल के निचले स्तरों पर है और दिसंबर 2019 में रिटले इनफ्लेशन 7.35 फीसदी पर पहुंच गया है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है जो 11 साल का न्यूनतम स्तर है। इसका कारण विभिन्न घरेलू और वैश्विक कारक हैं। इसमें उपभोग मांग में कमी शामिल है। 

बता दें कि रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है, इसमें कमी होने से लोन सस्ते होते हैं। आरबीआई नीतियां व ब्याज दरें तय करते वक्त खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। खाने-पीने की वस्तुओं के दाम ज्यादा बढ़ने की वजह से दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 7.35 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह साढ़े पांच साल में सबसे ज्यादा है। 

बताया जा रहा है कि बजट 2020 के बाद आरबीआई को महंगाई की चिंता सता रही है जिसके चलते रिजर्व बैंक ने लगातार दूसरी बार नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन किए बिना स्थिर रखा है। जीडीपी ग्रोथ बढ़ाने की चुनौती भी आरबीआई के सामने है। महंगाई दर बढ़ने की चिंता की वजह से आरबीआई ने दिसंबर की बैठक में भी रेपो रेट में बदलाव नहीं किया था।

क्या है RBI MPC का काम

बता दें कि केंद्रीय बैंक हर दूसरे महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है। इस पर करीबी नजर रखी जाती है। इसमें अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए नीतिगत ब्याज दर घटाने या बढ़ाने का फैसला लिया जाता है। यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) लेती है। यह एक ऐसी व्य​वस्था है, जिसकी मदद से रिजर्व बैंक देश की अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति को नियंत्रित करता है।

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