वाशिंगटन। देश में जहां ज्यादातर अर्थशास्त्री और एनालिस्ट ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद जता रहे हैं। वहीं इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (आईएमएफ) का मानना है कि महंगाई का लक्ष्य पाना है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को सख्त मौद्रिक नीति को लंबे समय के लिए रखना पड़ सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के बजट में राजकोषीय घाटे को 3.5 फीसदी पर बनाए रखा है। वित्त मंत्री के राजकोषीय मजबूत के रास्ते पर डटे रहने से ऐसी धारणा बनी है कि रिजर्व बैंक के लिये नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश बढ़ी है।
महंगाई को कम करने के लिए सख्त नीति जरूरी
भारत के बारे में अपनी स्टाफ रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा है कि निकट भविष्य में महंगाई लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मौद्रिक नीति उपायों को उपयुक्त तरीके से सख्त रखना चाहिए। आईएमएफ ने कहा है कि महंगाई में वृद्धि के जोखिम को ध्यान में रखते हुए महंगाई दर के दबाव के फिर से उभरने की स्थिति में सख्त मौद्रिक नीति की आवश्यकता हो सकती है।
देश में अभी भी महंगाई का खतरा
आईएमएफ ने कहा है, परिवारों में महंगाई अवधारणा अभी भी काफी ऊंची बनी हुई है इसे कम करने के लिये मुद्रास्फीति को लंबे समय तक नीचे बनाए रखना होगा, इसके लिए जब तक खाद्य आपूर्ति बढ़ाने के टिकाऊ उपाय नहीं किए जाते हैं तब तक लंबे समय के लिये सख्त मौद्रिक उपाय करने पड़ सकते हैं। बहरहाल, इस बहुपक्षीय एजेंसी ने भारत के लिये 7.3 फीसदी आर्थिक वृद्धि और अगले वित्त वर्ष में 7.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया है।
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