रिजर्व बैंक 5 अक्टूबर को एक बार फिर दे सकता है महंगाई का ‘तोहफा’, रेपो दर में हो सकती है 0.25% की वृद्धि
महंगा पेट्रोल और डीजल अब रोजमर्रा के जीवन में ही नहीं बल्कि आपके लोन की किश्तों पर भी असर डाल सकता है।
मुंबई। महंगा पेट्रोल और डीजल अब रोजमर्रा के जीवन में ही नहीं बल्कि आपके लोन की किश्तों पर भी असर डाल सकता है। रिजर्व बैंक 5 अक्टूबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद ब्याज दरों की घोषणा करेगा। माना जा रहा है कि कच्चे तेल में तेजी तथा रुपये में गिरावट के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका को देखते हुए आरबीआई रेपो दर 0.25 प्रतिशत बढ़ा सकता है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति 2018-19 के चौथे द्वैमासिक समीक्षा की तीन दिवसीय बैठक की शुरुआत तीन अक्टूबर को करेगी। मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा पांच अक्टूबर को की जाएगी।
आपको बता दें कि पिछली दो समीक्ष के बाद आरबीआई ने रेपो रेट में वृद्धि की है। लगातार दो बार वृद्धि के बाद अभी रेपो दर 6.50 प्रतिशत है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकिरण राय जी ने कहा, ‘‘पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण मुद्रास्फीति के भी बढने का अनुमान है। अत: वे (रिजर्व बैंक) पहले ही बचाव के कदम उठा सकते हैं। मुझे लगता है कि रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी।’’
विशेषज्ञों का मानना है कि कमजोर रुपया भी रिजर्व बैंक को रेपो दर बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकता है। एचडीएफसी के उपाध्यक्ष तथा मुख्य कार्यकारी के मिस्त्री ने कहा, ‘‘मुद्रा के मौजूदा स्तर को देखते हुए मेरा मानना है कि वे ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करेंगे।’’ उल्लेखनीय है कि रुपया लगातार कमजोर हुआ है और इसके 73 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से नीचे गिर जाने की आशंका है। भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा कि रिजर्व बैंक को रुपये की गिरावट थामने के लिए ब्याज दर में कम से कम 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करनी चाहिए।
मॉर्गन स्टेनली ने भी कहा कि उसे अक्टूबर बैठक में रिजर्व बैंक द्वारा अल्पावधि ब्याज दर बढ़ाने की उम्मीद है। कोटक इकोनॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अक्टूबर बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। हालांकि बैंक अधिकारियों को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कमी का अनुमान नहीं है।