नई दिल्ली। वित्तीय सेवा कंपनी डीबीएस (DBS) का मानना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं व रुपए में उतार-चढ़ाव को देखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के लिए 2017 की पहली तिमाही बेहतर समय होगा, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक ग्रोथ को सपोर्ट देने और अनुकूल महंगाई दर का फायदा उठाने के लिए दिसंबर में ही दरों में कटौती जैसा कदम उठा सकता है।
- डीबीएस का कहना है कि नोटबंदी के कदम के बाद आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ना तय है विशेषकर खपत, आपूर्ति श्रृंखला व नकदी आधारित अन्य कारोबार प्रभावित होंगे।
- यह असर इस तिमाही व अगली तिमाही में भी बना रहेगा।
फर्म ने अनुसंधान पत्र में कहा है,
नीतिगत मोर्चे पर, वैश्विक अनिश्चितताओं व रुपए में उतार-चढ़ाव को देखते हुए लग रहा है कि नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के लिए अगले साल की पहली तिमाही बेहतर समय होगा लेकिन रिजर्व बैंक यह कदम दिसंबर में ही उठा सकता है ताकि वृद्धि को बल दिया जा सके।
- उल्लेखनीय है कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने पिछले महीने नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर 6.25 प्रतिशत कर दिया था।
- रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा 7 दिसंबर को करेगा।
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